पृष्ठ:राजविलास.djvu/६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

इसी युद्ध के समय मेवार में एक घोर अकाल भी पड़ा था । उस समय महाराणा राजसिंह ने 'राजसर' नामक एक बड़ा तालाब और उमी तालाब के किनारे एक बड़ा विष्णु मंदिर और निकट ही 'राजनगर' नामक ग्राम बसाकर अपनी प्रजापालकता और नीतिनिपुणता का भी परिचय दिया था। इस बात का भी वर्णन इस पुस्तक के आठवें विलास में आया है। पुस्तक में १८ विलास हैं जिनका संक्षेप यों है- (१) सरस्वतीविनय । संवत् १७३४ में ग्रंथारंभ । मौरी वंशज चित्रांगद का मेदपाट नामक नगर बसाकर १८ प्रान्तों पर राज्य करना । सातवीं पीढी में चित्रंग नामक राणा का होना । शिव बर से बप्पारावल की उत्पत्ति । हारीत मुनि के वर से बप्पा रावल का राजा होना सौर चित्रांगद को जीत कर चित्तौर लेना। स्वप्न में हारीत सिद्ध का दर्शन देकर रावल की पदवी देना। (२) बप्पा रावल की वंशावली। जगत सिंह की सभा का वर्णन । उदयपुर नगर का वर्णन (बहुत ही अच्छा है)। संघत १६८६ में जगतसिंह जी के पुत्र राजसिंह का जन्म । उनकी जन्म कुंडली और फल । १९ वर्ष की आयु तक का वर्णन । ___(३) राजसिंह जी का प्रथम विवाह बूंदी में होना । बूंदी नरेश. छत्रसाल हाड़ा की दो लड़कियां थी। दोनों का विवाह एकही समय रचा गया था । जेठी पुत्री का विवाह राजसिंह के साथ; छोटी का विवाह जोधपुर के राजकुमार यशवंत सिंह के साथ । दोन। बरारों साथ हो