पृष्ठ:राजसिंह.djvu/१०१

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५६ राजसिंह [दूसरा मगर शर्त यह है कि वह फौरन ही अपनी बहिन को दिल्ली रवाना कर दे। जेबुन्निसा- -हुजूर उसकी एक शर्त है। बादशाह-वह क्या ? जेबुन्निसा-वह चाहता है हज़रत सलामत खुद रूपनगर तशरीफ ले जाकर बाकायदा राजा की बेटी से शादी करके उसकी इज्जत अफजाई करें। बादशाह-उसकी इस शर्त की क्या वजह है ? जेबुन्निसा-हुजूर, वह चाहता है कि शाही रिश्तेदार होने से उसका रुतवा बढ़े, फिर हुजूर अगर उसकी यह अर्जी कबूल फर्मावेंगे तो एक ढेल से दो शिकार होंगे। बादशाह-तुमने इस मामले में क्या मस्लहत सोची है। जेबुन्निसा-जहाँपनाह को मालूम है कि मेवाड़ के राना की ज्यादतियाँ बढ़ती जाती हैं। उसने न सिर्फ शाही इलाके जबरन कब्ज में कर लिये हैं। बल्के बागी जोधपुर की रानी को अपने यहाँ पनाह दी है और . राठौरों से मिलकर वह तमाम राजपूताने मे एक जबर्दस्त ताकत-तख्ते मुग़लिया के खिलाफ खड़ी कर रहा है। सो हुजूर इस बार अगर रूपनगर जाएँगे तो राजा की ख्वाहिश भी पूरी होगी, राना को भी देख लिया जायगा और हजरत मुइनुहीन की दरगाह शरीफ की जियारत भी हो जायगी।