पृष्ठ:राजसिंह.djvu/१४७

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१३२ राजसिंह [चौथा लिया जाय और दूसरी आज्ञा की प्रतीक्षा की जाय । सब-ऐसा ही होगा। विक्रम-दुर्जन हाड़ा लाल झण्डे से आपको आक्रमण का आदेश देंगे। सब-बहुत अच्छा। विक्रम-परन्तु मुझे विश्वास है, बिना ही रक्तपात के सब काम हो जावेंगे। अच्छा सावधान ! विशेष आदेश सरदारों के पास पहुँच जावेंगे। अब आप सब कोई चलकर तैयार रहें। सूर्य छिपते ही भेष बदल कर किले के निकट रहे। किले के समस्त फाटकों पर हमारे विश्वस्त सिपाही हैं, और महल में सर्वत्र हमारा पहरा है। सब-विक्रम सोलंकी की जय । राजपूतों की जय । (पर्दा गिरता है)