पृष्ठ:राजसिंह.djvu/१५

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[१०] था। उसे कुम्भलगढ़ जाते हुए प्राडो गॉव में किसी ने भोजन में विष खिसा दिया जिससे २२ अक्टूबर १६८० मे सिर्फ ५१ वर्ष की उम्र में उसका देहांत हो गया। महाराणा की १८ रानियाँ थीं, जिनसे । पुत्र और १ पुत्री हुई । राणा रणपन्डित, साहसी, वीर, निर्भय, सच्चा क्षत्रिय, बुद्धिमान, धर्मनिष्ठ और दाता था। उसमे क्रोध की मात्रा अधिक थी। वह स्वयं कवि और विद्वानों का सत्कार करने वाला था। किसी कवि ने राणा की प्रशंसा में श्लोक लिखा है- संग्रामें भीम भीमो, विविध वितरणे यश्च कर्णोपमेवः । सत्ये श्रीधर्म सूनुः, प्रवल रिपु जये पार्थ एवापरोयम् ।। श्रीमान्बाजीन्द्र शिक्षा नय विधि कुशलः शास्त्रतत्वेतिहासे। देवोऽयं राजसिंहो जयतु चिरतरं पुत्रपौत्रैः समेतः।।१॥