पृष्ठ:राजसिंह.djvu/१५१

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चौथा अङ्क पहला दृश्य (स्थान-रूपनगर का राजमहल । राजा रामसिंह और विक्रमसिंह । समय-मध्यान्ह ) रामसिंह-(धरती में पैर पटक कर ) मैं कहता हूँ आपने यह साहस ही कैसे किया ? शाही आदमी को आपने आव देखा न ताव, खट से क़त्ल कर दिया। (कुछ ठहर कर) अब जवाब तो मुझे देना होगा, आपको नहीं। राजा मैं हूँ-आप नहीं । आप क्या सोच रहे हैं काकाजी। विक्रमसिंह-यही सोच रहा हूँ कि रूपनगर के राजा रामसिंह हैं विक्रमसिंह नहीं। रामसिंह-सो तो है ही। इसी से मैं पूछता हूँ कि मेरे बिना हुक्म के आपने शाही सिपाही को कैसे कत्ल किया ? विक्रमसिंह-कैसे बताऊँ। कोई शाही सिपाही यहाँ हाजिर होता तो अभी खट से उसका सिर काट लेता। रामसिंह-यह तो अन्धेर है। अजी मैं पूछता हूँ क्यों ? किस लिये