पृष्ठ:राजसिंह.djvu/१८७

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राजसिंह [सातवाँ उदयपुरी बेगम-बजा है, एक अदना औरत कैसे शहनशाहे आलम की ताकत का अन्दाजा लगा सकती है। शायद हुजूर की ताकत का अन्दाजा न लगा सकने ही पर उस काफिर गंवारिन लड़की ने हुजूर की नाक लातों से तोड़ी थी। बादशाह-(गुस्से से) जमीनो आसमान पर जहाँ वह होगी लाकर यहाँ हाजिर की जायगी और शहनशाह के साथ की गई गुस्ताखी की सजा पावेगी। उदयपुरी बेगम-सच है, फिलहाल तो हुजूर शायद मस्लहत से उससे शादी न कर बीच रास्ते ही से लौट आए। बादशाह-मुझसे दशा की गई। उदयपुरी बेगम-उम्मीद न थी कि वह गंवारिन ऐसी चालाक निकलेगी कि बादशाह आलमगीर को भी चरका दे जायगी। बादशाह-मगर आलमगीर के गुस्से को बढ़ाना आग से खेलना है। उदयपुरी बेगम-( हंसकर ) सुना है इन राजपूत लड़कियों को भाग से खेलने की स्वास कुदरत होती है। हाँ, तो क्या, यह सच है कि उल लड़की ने उदयपुर के राणा से शादी कर ली। बादशाह-सुना तो है।