पृष्ठ:राजसिंह.djvu/१९७

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१८२ राजसिंह [दसवाँ खिलाफ बहुत सी बातें सुनी गई हैं। अब अगर राजपूतों की इस दवंगता को न कुचला गया तो शाही तख्त का अमनो-आमान खतरे में पड़ जायगा। मारवाड़ और मेवाड़ की ताकतें मिलकर एक भारी फिसाद बर्पा करेंगी। उधर दक्षिण में मराठी चूहा उछल कूद मचा रहा है। इसलिये अब वक्त आगया है कि फौज-कशी की जाय । बस, मैं चाहता हूँ कि जल्द से जल्द फौज की तैयारी कर ली जाय । वजीर-हुजूर, यह बहुत ही पेचीदा मामला है। वक्त बहुत नाजुक है चारों तरफ दुश्मनों का जोर है, ऐसी हालत में जहाँपनाह का दारुल सल्तनत का छोड़ना खतरे से खाली नहीं। बादशाह-आलमगीर हमेशा खतरे से खेल करने का आदी है । आप कभी अकबर को फरमान भेज दीजिये कि वह अपनी तमाम मौज लेकर अजमेर की ओर कूच करे और जल्द से जल्द हमारे वहाँ पहुंचने की उम्मीद रखे और आप आज से तीसरे दिन हमारे कूच की तैयारी कर दें। वजीर-जो हुक्म । (जाता है)