पृष्ठ:राजसिंह.djvu/२०५

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दूसरा दृश्य स्थान-उदयपुर, शाहजादा अकबर की छावनी। शाहजादा अकबर और उसके सरदार लोग । समय-सायंकाल ) अकबर-बड़े ही ताज्जुब की बात है कि रास्ता, बारा, बन, बगीचा सरोवर सब जगह सन्नाटा है । शहर जैसे जादू के जोर से सो गया है। कहिये हसनअली साहेब, क्या आपको शहर में कोई श्रादमी मिला ? हसनअली-एक चिड़ी का पूत भी नहीं। मैंने खुद घूमकर सब तरफ देख लिया। अकबर-आपका क्या ख्याल है ? मुल्क के सब बाशिन्दे क्या हुए ? हसनअली-जाहिरा ऐसा मालूम होता है, हमारी फौज को देखकर सब डर कर जंगलों में भाग गये हैं। अकबर-तब उन पहाड़ी चूहों से जंग किस तरह किया जायगा? हसनअली-जंग की जरूरत ही क्या है। तमाम मुल्क, शहर, गाँव, हलके, निले हमारे हाथ में आ ही गये । मुल्क फतह हो गया। बस बैठे चैन की बंशी बजाइये। अकबर-यह भी ठीक है । मगर सोचना यह है कि क्या मुल्क फतह हो गया! M