पृष्ठ:राजसिंह.djvu/२०९

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१६४ राजसिंह [ तीसरा के जैसा है जिसमें घुसने के लिये सिर्फ ३ नाले हैं, उदयपुर, राज समुद्र और देसूरी। बादशाह-(बेचैनी से ) शाही फौज की कैफियत क्या है ? तहब्बुर खाँ-उसके सामने दिक्कत यह है कि चित्तौड़ से मारवाड़ जाने के लिये उसे बदनौर-सोजत और व्यावर होकर लम्बा और ऊबड़-खाबड़ उजाड़ रास्ता तै करना पड़ता है-जिसमें न कहीं पानी है और न चारा । तिस पर एक और आफत है। बादशाह-वह क्या? तहब्बुर खाँ-इस रास्ते के तमाम नाकों और घाटों पर ५० हजार मील तीर कमान लिये तैनात हैं। जो छिप- कली की तरह पहाड़ पर चढ़ और उतर सकते हैं। और जिनका निशाना अचूक होता है। बादशाह-शाही फौज को और क्या दिक्कतें हैं ? तहब्बुर खाँ-जहाँपनाह, इस मुसीबत के अलावा उसे रसद की बड़ी ही दिक्कत है । ज्यों ही मुल्क के भीतरी हिस्सों में फंसी शाही फौज को रसद भेजी जाती है-वह आनन-फानन लूट ली जाती है. । मुल्क के भीतरी हिस्से की तमाम फसल बर्बाद कर दी गई है। गाँव और बस्तियाँ उजाड़ दिये गये हैं। कुएँ और तालाब पाट दिये गये हैं। मुल्क भर में न घोड़ों को चारा पानी मिलता है न सिपाहियों को खाना।