पृष्ठ:राजसिंह.djvu/२२९

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२१४ [नवाँ राजसिंह नायकों ने उसे लूट लेना चाहा। परन्तु मैंने उन्हें रोक कर कहा अभी इसे घाटी में जाने दो पीछे हमारे हाथ ही आ रहेगा। राणा-बिल्कुल ठीक किया। गोपीनाथ राठौर-उसके पीछे अटों और छकड़ों पर लदा हुआ दफ्तरखाना था फिर ऊँटों पर लदी गंगाजल की कतारें थीं। पीछे रसद, आटा, दाल, घी और पखेरू चौपाए और कच्ची पक्की खाने पीने की चीजें थीं। बाद में तोपखाना और उसके पीछे अनगिनत घुड़ सवार मुग़ल । यह शाही फौज का पहला दस्ता था । इसे हमने चुपचाप घाटी में चला जाने दिया। राणा-इसके बाद? गोपीनाथ राठौर-इसके याद फौज का दूसरा हिस्सा था जिसमें खुद बादशाह सलामत थे। उनके आगे असंख्य ऊँटों पर दहकते अंगारों पर सुगन्ध द्रव्य जल रहे थे। जिससे कोसों तक पृथ्वी आकाश सुगन्धित हो रही थी। इसके बाद बादशाही खास अहदी फौजदामी घोड़ों पर सवार थे। जिनके बीचों बीच बादशाह एक बहुमूल्य घोड़े पर सवार चल रहे थे। ऊपर कीमती मोतियों का छत्र था। बादशाह के पीछे शाही हरम बड़े-बड़े हाथियों पर थीं, जिनकी सुनहरी कलगियाँ धूप में चमक रही थीं। इनके पीछे बांदी और लौंडियों