पृष्ठ:राजसिंह.djvu/२३३

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२१८ राजसिंह [नवाँ राणा-उन्हें आदर पूर्वक अभी महलों में भेज दिया जाय और महारानी चारुमती को उनकी पहुनाई करने दी जाय। इसके लिए हम अलग पत्र महाराणी को लिखेंगे। खाद्य सामग्री जो अपने काम की न हो, दुसाध और डोमों को लुटा दी जाय और लूटा हुआ खजाना दीवान जी के सुपुर्द कर दिया जाय। गोपीनाथराठौर-जो आज्ञा, ऐसा ही होगा। (जाता है)