पृष्ठ:राजसिंह.djvu/५२

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श्य पहिला अंक बुढ़िया-(सब को घूर कर) मगर मेरी तस्वीरें तुम्हारे लायक नहीं हैं, वह राजकुमारी के लिए लाई हूँ। (सब ज़ोर से खिलखिलाकर हंसती हैं) बुढ़िया-तुम हँसती क्यों हो? एक-हँसी की बात ही है (आगे बढ़कर ) मैं राजकुमारी हूँ-दिखा तस्वीर। दूसरी-दूर हो, राजकुमारी मैं हूँ, कहाँ हैं तस्वीरें ? तीसरी-इधर देख मैं हूँ राजकुमारी । बुढ़िया-(रोकर ) या खुदा या तो ये सभी राजकुमारियाँ हैं या एक भी नहीं। (सब खिलखिला कर हंसती हैं। राजकुमारी चास्मती माती है-सब सखियां चुप हो जाती हैं) कुमारी चारुमती-तुम सब इतना क्यों हँस रही हो । एक-यहाँ एक दिल्ली की बूढ़ी बिल्ली आई है। कुमारी-बेचारी बुढ़िया को तंग न करो-कौन है वह ? एक सखी-वह दिल्ली की तस्वीर बेचने वाली है। चुड़े ल कहती है तस्वीरें हमारे लायक नहीं-कुमारी जी के लिये है। चारुमती-(मुस्करा कर) मेरे लिये जो तस्वीर लाई हो दिखाओ। बुढ़िया-मैं कुर्बान । कुमारीजी, तुम तो खुद ही एक तस्वीर हो । चारुमती-तुम अपती तस्वारें तो दिखाओ।