पृष्ठ:राजसिंह.djvu/७५

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राजसिंह [पाँचवाँ बादशाह-तुम क्या चाहती हो बेगम ? बेगम-हुजूर, ये बदशक्ल गेंडे की सी शक्लवाली बाँदियाँ मेरा तम्बाकू ठीक तौर पर नहीं भर पाती हैं। सुना है राजपूताने की बॉदियाँ तम्बाकू भरना खूब जानती हैं। क्या मजा हो जो यह रूपनगर की बॉदी मेरा तम्बाकू भरे । जहाँपनाह यह अदना सी मेरी फर्मा- इश है। बादशाह-( उठते हुए) तुम्हारी यह अदना फर्माइश पूरी की जायगी। रूपनगर की वह बाँदी तुम्हारा तम्बाकू भरेगी। बेगम-(खुश होकर प्याला भरती हुई) शुक्रिया जहॉपनाह । तो इसकी खुशी में हुजूर एक प्याला इस विलायती शराब का न पीजियेगा? बादशाहनहीं बेगम, अभी मुझे बहुत काम है। ( जाता है)