पृष्ठ:राजसिंह.djvu/९३

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राजसिंह [नवाँ जयसिंह-जाने दो इसे, मुझे तुम्हारा स्त्रीत्व चाहिये । माधुर्य- सौकुमार्य, कोमलता और भावुकता से ओतप्रोत । रानी-नहीं स्वामी, उससे अधिक तुम्हे इस अधम नारी शरीर में बसी हुई राजपूत शक्ति की ज़रूरत है। जयसिंह-(हसकर ) क्या घातक होने के कारण । रानी-(हँसकर) नहीं रक्षक होने के कारण । स्वामी, आप महा तेजस्वी राणा राजसिंह के पाटवी पुत्र-मेवाड़ की यशस्विनी गद्दी के उत्तराधिकारी हैं। जयसिंह जानता हूँ।और शक्ति और प्रेम की देवी कमल कुमारी का पति भी। चलो अब। रानी-(हँसकर) चलो। (दोनों जाते हैं, पर्दा गिरता है)