पृष्ठ:राजस्ठान का इतिहास भाग 2.djvu/१०९

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की चेष्टा की। दोनों ओर से तलवारें और भाले चल रहे थे और रणभूमि में सहस्त्रों की संख्या में शूरवीर घायल होकर गिरते हुये दिखायी दे रहे थे। रक्त को नदी बह रही थी। राव पजून ने एतमाद्र पर जोर के साथ आक्रमण किया। उसका कटा हुआ सिर नीचे गिरा। उसके गिरते ही शत्रुओं के सैकड़ों भाले एक साथ राव पजून पर चले। पजून अपनी रक्षा न कर सका और वह भयानक रूप से घायल होकर गिर पड़ा। गोविन्दराय और राव पजून के मारे जाने के समय एक घड़ी दिन वाकी रह गया था। राव पजून के गिरते ही शूरवीर पाल्हन ने युद्ध में प्रवेश किया। राव पजून के भाई पाल्हन के पहुँचते ही युद्ध की गति फिर भयानक हो उठी। कुछ देर के संग्राम के बाद कन्नौज की सेना की गति मन्द पड़ गयी।" राव पजून युद्ध में पृथ्वीराज की ढाल होकर रहता था। उसने अनेक भयानक अवसरो पर पृथ्वीराज की रक्षा की थी। कन्नौज को सेना के साथ होने वाले युद्ध में भी उसने अपनी जिस वीरता का परिचय दिया, उसका वर्णन नहीं किया जा सकता। उसने अगणित शूरवीरो का संहार किया था। उसके मारे जाने के बाद उसके भाई और उसके पुत्र ने युद्ध में एक बार शत्रुओं के छक्के छुड़ा दिये थे। राव पजून के पुत्र मलैंसी के शरीर पर उस युद्ध में तलवारो के साथ जख्म भयानक रुप से हुये थे और उसके शरीर से इतना अधिक रक्त निकल रहा था कि उस रक्त से उसका घोडा भीग गया था। चन्द कवि ने मलैंसी की वीरता का भी बहुत वर्णन किया है। राव पजून के बाद ठसका लडका मलैंसी आमेर के सिंहासन पर बैठा। मलैसी के बाद आमेर के सिंहासन पर जो ग्यारह राजा बैठे, वे इस प्रकार है- (1) बीजलदेव (2) राजदेव (3) कल्हण (4) कुन्तल (5) जोणसी (6) उदयकर्ण (7) नरसिंह (8) वनवीर (9) उद्धरण (10) चन्द्रसेन और (11) पृथ्वीराज। इन ग्यारह राजाओं में दस राजाओं का कोई उल्लेख इतिहास में नहीं मिलता, पृथ्वीराज के सम्बन्ध में लिखा गया है कि उसके सत्रह लड़के पैदा हुये। उनमे पाँच की अकाल मृत्यु हो गयी थी, शेष बारह पुत्रो में पृथ्वीराज ने अपने राज्य को वाँट दिया था। उन दिनो मे आमेर राज्य की भूमि वहुत थोड़ी थी और यह राज्य बहुत छोटा समझा जाता था। इस राज्य के वारह टुकडे हो चुके थे और उसका प्रत्येक भाग पृथ्वीराज के एक-एक लड़के को मिला था। उदयकर्ण के शासनकाल में पारिवारिक संघर्ष पैदा हुआ। उसके पुत्र बालाजी ने अपना राज्य छोड़कर अमृतसर नामक नगर के साथ-साथ कुछ अन्य राज्यों की स्थापना की। शेखावाटी का विस्तार उस समय दस हजार वर्ग मील था। इस राज्य का वर्णन आवश्यकतानुसार आगे किया गया है। पृथ्वीराज ने सिन्ध नदी के तट पर बसे हुये देवल नामक स्थान को विजय किया था। लेकिन वह अपने ही पुत्र भीम के द्वारा मारा गया। जिस भीम ने पिता को मारकर अक्षम्य अपराध किया था, उसका वदला उसके पुत्र आसकर्ण ने उसको दिया और वह भी अपने लड़के के द्वारा मारा गया। पिता की हत्या करने के बाद भीम सभी की आँखों मे अपराधी वन गया था और इसलिये लोगो के उकसाने पर उसके पुत्र आसकर्ण ने उसकी हत्या की। आमेर राजवंश के इतिहास में पिता की हत्या करने वाले भीम और आसकर्ण का कोई उल्लेख नहीं मिलता। 107