पृष्ठ:राजस्ठान का इतिहास भाग 2.djvu/१४२

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उतारने का प्रयास किया। जगतसिंह को इसका पता लग गया। वह अपने वचने की कोशिश करने लगा। कुछ सामन्त और मन्त्री इस अपमान से जगतसिंह की रक्षा भी करना चाहते थे। किसी प्रकार रसकपूर को कारागार में भेज दिया गया और राजा जगतसिंह से जो सम्पत्ति उसे मिली थी, उसे छीन लेने का आदेश दिया गया। जिस दुर्ग के कारागार में रसकपूर भेजी गयी, वहाँ से वह किसी प्रकार निकलकर भाग गयी। जगतसिंह ने उसके भाग जाने पर उसके विरुद्ध कोई कार्यवाही न की। 21 दिसम्बर सन् 1818 ईसवी को जगतसिंह की मृत्यु हो गई। राजा जगतसिंह के कोई लड़का न था। उसने अपने जीवनकाल मे किसी को उत्तराधिकारी भी नहीं बनाया था। राजा के पुत्रहीन मरने पर गोद लेने की व्यवस्था बहुत प्राचीनकाल से राजस्थान में चली आ रही है। इस प्रकार जो बालक गोद लिया जाता है, उसी के द्वारा मृत राजा की दाह-क्रिया का संस्कार कराया जाता है। राजा जगतसिंह के मर जाने पर नरवर के राजा के लड़के मोहनसिंह को गोद लेकर आमेर राज्य के सिंहासन पर बिठाने का निश्चय हुआ। 21 दिसम्बर को जगतसिंह की मृत्यु हो जाने पर राज्य में गोद लेकर शासन का कार्य सम्हालने का निश्चय हुआ। लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में यह सम्भव नहीं है, जैसा कि अंग्रेजों के साथ की गई सन्धि मे स्वीकार किया गया है, इस पर राज्य के मन्त्री और सामन्त आपस में परामर्श करने लगे। जयपुर राज्य के मन्त्रिमण्डल के सामने यह एक कठिन समस्या पैदा हुई। ऐसे अवसर पर मैं मन्त्रिमण्डल की सहायता करना चाहता था। लेकिन राज्य की पुरानी और प्रचलित प्रथाओं का ज्ञान न रखने के कारण मैंने जो हस्तक्षेप किया, उसे राज्य के लोगों ने अच्छा नहीं समझा और वहाँ के सरदारों को इसके लिए अपनी असमर्थता प्रकट करनी पड़ी। इन दिनों में जयपुर के मन्त्रि-मण्डल के सामने राज्य के उत्तराधिकारी के अभाव की जो समस्या थी, उस पर यहाँ कुछ प्रकाश डालना आवश्यक मालूम होता है। साधारण तौर पर राजा के बड़े पुत्र को उत्तराधिकारी होने का पद मिलता है। राजपूतों में प्रचलित यह एक पुरानी प्रथा है। यद्यपि कभी-कभी इस प्रथा का उल्लघंन होता हुआ भी देखा गया है। लेकिन बहुत कम। इसके सम्बन्ध में मनु ने अपने ग्रन्थ में निर्णय किया है। यद्यपि बहुत से राजपूतों ने मनु की इन आज्ञाओं का अनुसरण नहीं किया। राजा के बडे लड़के को पाटकुमार अथवा राजकुमार के नाम से पुकारा जाता है और वही अपने पिता के राज्य का उत्तराधिकारी माना जाता है। राजकुमार के दूसरे भाई कुमार नाम से सम्बोधित होते हैं। राज्य की सबसे बड़ी रानी को अर्थात् राजा का विवाह जिसके साथ सबसे पहले होता है, उसे पटरानी कहा जाता है। अन्य रानियों की अपेक्षा पटरानी के अधिकार अधिक होते हैं। छोटी अवस्था मे राजकुमार के सिंहासन पर बैठने पर पटरानी राज्य का शासन करती है। यदि कोई राजा पुत्रहीन अवस्था में मरता है तो उस वश के किसी निकटवर्ती सम्बन्धी के बालक को गोद लेने की राजस्थान में बहुत पुरानी व्यवस्था है। ऐसे प्रश्न पर सगे भाई के बालक को सबसे पहले गोद लेने का नियम है। उसके अभाव मे वश के किसी निकटवर्ती बालक की खोज की जाती है। इस प्रकार की प्रचलित प्रणाली के अनुसार मेवाड़ राज्य मे 134