पृष्ठ:राजस्ठान का इतिहास भाग 2.djvu/१६६

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प्रयास किया। रघुनाथ सिंह को जब यह रहस्य मालूम हुआ तो उसने इन्द्र सिंह का साथ छोड़कर उसके भतीजे रानोली के सामन्त पृथ्वी सिंह का आश्रय लिया और कोछोर की रक्षा करने का प्रयत्न किया। कोछोर के आक्रमण में असफलता प्राप्त कर वृन्दावन दास खण्डेला की तरफ लौट गया। इन्द्र सिंह अपनी सेना के साथ खण्डेला के समीप पहुँच गया। उसी समय नगर के बाहर दोनो तरफ से युद्ध आरम्भ हुआ। वृन्दावन दास के बड़े लड़के गोविन्द सिंह ने बड़े साहस के साथ उदयगढ़ की रक्षा की। इन्द्र सिंह लगातार उसको पराजित करने की कोशिश कर रहा था। कई दिनो तक यह युद्ध चलता रहा, अंत मे युद्ध करते-करते दोनों पक्ष निर्वल पड़ गये। लेकिन युद्ध का कोई परिणाम न निकला। इसके बाद वृन्दावन दास और इन्द्र सिंह मे समझौता हो गया और इन्द्र सिंह राज्य के जितने हिस्से का वास्तव में अधिकारी था, उतना राज्य वृन्दावन दास ने उसको दे दिया। इस समझौते के बाद खण्डेला राज्य के आपसी संघर्प का अन्त हो गया। घरेलू सघर्प के अत होने के कुछ ही दिनों के बाद दिल्ली के बादशाह के सेनापति नजफकुली खॉ ने एक फौज लेकर खण्डेला पर आक्रमण किया। माचेड़ी का राव मुगल सेनापति को लेकर शेखावाटी राज्य मे आया और वहाँ के छोटे-छोटे राज्यों पर अत्याचार करके मुगल सेनापति ने धन एकत्रित करने का काम आरम्भ किया। नवलगढ़ के नवल सिंह, खेतडी के बाघसिंह,बिसाऊ के सूर्यमल आदि शेखाणी वंश के राजाओं से मुगल सेनापति ने दण्ड स्वरूप कई लाख रुपये देने के लिए कहा। इस रुपये की अदायगी न हो सकने पर मुगल सेनापति ने उन सब को कैद कर लिया। इसके बाद शेखावाटी के गरीव किसानों से कई लाख रुपये एकत्रित करके जब यवन सेनापति को दिये गये तो उसके बाद वे सामन्त कैद से छोड़े गये। इन दिनों मे शेखावाटी का प्रत्येक ग्राम और नगर भयानक विपदाओं का सामना कर रहा था। घरेलू संवर्प के कारण खण्डेला राज्य निर्बल हो चुका था। उसके बाद वहाँ के ब्राह्मणों ने अपने भय का प्रदर्शन आरम्भ किया। वृन्दावन दास ने खण्डेला की प्रजा से कर वसूल करने के अवसर पर यहाँ के कुछ ब्राह्मणों से भी कर वसूल किया था। उसको शांत करने के लिए आमेर के राजा ने खण्डेला से अपनी सेना वापस बुला ली थी और क्रोधित ब्राह्मणों को वीस हजार रुपये देकर शान्त किया था। इसका ऊपर वर्णन किया जा चुका है। इन दिनों में वृन्दावन दास और इन्द्र सिह को निर्बल समझ कर वहाँ के ब्राह्मणो ने उत्पात करना आरम्भ किया । वृन्दावन दास ने उन लोगों से जो कर वसूल किया था, उसके पाप का प्रदर्शन करके वे लोग वृन्दावन दास को भयभीत करने लगे। वृन्दावन दास ने ब्राह्मणों के श्राप से डर कर प्रायश्चित के रूप मे उनको भूमि के अधिकार देना शुरू किया। बहुत समय तक अनाचार देखकर वृन्दावन दास के लडके गोविन्ददास ने इसका विरोध किया। इसके फलस्वरूप वृन्दावन दास ने गोविन्ददास को अपने राज्य का भार देकर और अपने अधिकार में पाँच नगरों को रखकर सिंहासन छोड दिया। ___गोविन्ददास अपने पिता के सिंहासन पर बैठकर अधिक समय तक राज्याधिकार का भोग न कर सका। सिंहासन पर उनके बैठने के वर्ष में वर्षा न होने के कारण राज्य में 158