पृष्ठ:राजस्ठान का इतिहास भाग 2.djvu/२००

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प्राप्त सामग्री से ऊपर लिखी हुई आमदनी यहाँ पर जो दी गयी है, वह अगर सही है तो उससे यह साबित होता है कि जगत सिंह के सिंहासन पर बैठने के बाद जैसा कि ऊपर लिखा गया है, अस्सी लाख रुपये से अधिक राज्य की आमदनी हो गयी थी। इसमें से लगभग आधी खालसा भूमि अर्थात् राजा के अधिकृत ग्रामों और नगरों की थी। राजस्थान के अन्य राजाओं की निजी आमदनी से यह लगभग दो गुनी थी। अंग्रेजों के साथ सधि करने के समय जयपुर की आमदनी का उपरोक्त अनुामन लगाया गया था और राजा ने अंग्रेज कम्पनी को आठ लाख रुपये वार्पिक देना मन्जूर किया था। उससे यह भी निश्चय हुआ था कि राज्य की वर्तमान आमदनी मे जितनी आय अधिक होगी उसके सोलह भागों में से पांच भाग राजा को अतिरिक्त कर में देने पड़ेगे। ___विदेशी सेना-सन् 1803 ईसवी में जयपुर के राजा ने अपनी सहायता के लिए तेरह हजार सैनिकों की एक विदेशी सेना रखी थी। इस सेना में बन्दूकों के साथ दस कम्पनी पैदल सेना, चार हजार नागा सेना, एक प्रहरी सैनिकों का दल और सात सौ अश्वारोही सिपाहियो की सेना थी। इस विदेशी सेना के अतिरिक्त सामन्तों की ओर से चार हजार अश्वारोही सैनिकों की सेना राज्य के लिए सदा तैयार रहती थी और आवश्यकता पड़ने पर बीस हजार कुशवाहा सैनिक युद्ध क्षेत्र में पहुँच सकते थे। सामन्त- जयपुर के राजा पृथ्वीराज ने अपने बारह पुत्रों को राज्य के बारह प्रधान सामन्तों का पद दिया था। उनका उल्लेख ग्रन्थों मे इस प्रकार पाया जाता है: पुत्रों के नाम वंश का नाम जागीर वर्तमान सामन्त आमदनी सैनिक 1. चतुर्भुज चतुर्भुजोत पावर, बगरू बाघसिह 18000 28 2. कल्याण कल्याणोत लाटवाड गंगासिंह 25000 3. नाथू नाथावात चौमू किशन सिंह 115000 4. बलभद्र बलभद्रोत अचरोल कायम सिंह 28850 5 जगमल और उसका पृथ्वी सिंह 25000 40 खंगारोत बेटा खंगर 6. सुलतान सुल्तानोत चॉदसर 7. पचायन पचायनोत सम्बूयो सूलीसिंह 17700 8 गोगा गोगावत राव चॉदसिंह 70000 १ कायम खूमबानी भॉसरवो पद्यसिह 21535 10 कुम्भो कुम्भावत माहर रावत स्वरूप सिंह 27538 11 सूरत शिववरन नीन्दिर रावत हरिसिंह 10000 19 12. वनवीर बनबोरपोत बाटको स्वरूप सिह 29000 टोढली धूनी इन बारह प्रधान सामन्तो के सिवा आमेर राज्य मे और भी सामन्त थे, उनकी आमदन सेना और अन्यान्य बातों का उल्लेख जो पाया गया है, वह इस प्रकार है: 192