पृष्ठ:राजस्ठान का इतिहास भाग 2.djvu/२२५

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पूर्वज रणसीवा रायसी असीरगढ़ से निकाल दिया गया था। उस समय चित्तौड़ के राणा ने उसको अपने यहाँ आश्रय दिया था और भैंसरोड पर अधिकार करने के लिये राणा ने उसकी सहायता भी की थी। अलाउद्दीन के चित्तौड़ पर आक्रमण करने के पहले सम्पूर्ण पठार राणा के अधिकार में था। अलाउद्दीन के आक्रमण के बाद चित्तौड़ निर्वल हो गया था। उन दिनों में मीणा आदि नातियों ने अपने पूर्वजों के नगरों और ग्रामों पर अधिकार कर लिया और उसके बाद उन लोगों ने हाड़ा वंश के पठार राज्य को भी लेने का निश्चय किया था। इस प्रकार कुछ पहले की घटनायें थीं। हामा जी के साथ राणा का पत्र-व्यवहार चलता रहा। हामा जी को उत्तर देते हुए राणा ने लिखा- "कुछ दिनों के लिए हमारा राज्य निर्वल हो गया था। लेकिन कोई भी हमारे राज्य के नगरों और ग्रामों पर बल पूर्वक अधिकार नहीं कर सका। इसलिये बूंदी राज्य को चित्तौड़ की अधीनता स्वीकार करनी पड़ेगी।" ____ हाड़ा राजा हामा जी ने सभी प्रकार राणा की अन्तिम बातों पर विचार और परामर्श किया और अन्त में उसने स्वीकार किया कि दशहरा और होली के अवसर पर सेना के साथ बूंदी का राजा चित्तौड़ में उपस्थित हुआ करेगा। अभिषेक के समय राणा को बूंदी में राजतिलक करने का अधिकार होगा। परन्तु दूसरे सामन्तों की तरह बूंदी का राजा चित्तौड़ की अधीनता के नियमों का पालन नहीं कर सकता। हामा जी के इस उत्तर से राणा को सन्तोप नहीं मिला इसलिये उसने हामा जी को अधीन बनाने और रावदेवा के वंश को पठार-राज्य से अलग करने का निर्णय किया। बूंदी के राजा हामा जी ने राणा के इस निर्णय को जाना। वह जरा भी भयभीत नहीं हुआ और साहस पूर्वक सभी परिस्थितियों में उसने अपनी स्वाधीनता की रक्षा करने का निश्चय किया। चित्तौड़ का राणा अपने सामन्तों की सेनाओं के साथ अपनी सेना लेकर वृंदी पर आक्रमण करने के लिए रवाना हुआ। बूंदी के निकट पहुँच कर निमोरिया नामक स्थान पर उसने मुकाम किया। चित्तौड़ की सेना के आने का समाचार पाकर हामा जी ने तुरन्त युद्ध की तैयारी की। उसने अपने वंश के पाँच सौ शक्तिशाली वीरों की सेना को तैयार किया और वे सभी लाल रंग के वस्त्र पहनकर राजधानी से युद्ध के लिये रवाना हुए। भयानक रात का समय था, बिना किसी प्रकार की सूचना दिये हुए पाँच सौ शूरवीर हाड़ा लोगों ने एकाएक चित्तौड़ की सेना पर आक्रमण किया। उस समय के भयानक संहार को देखकर राणा घबरा उठा और वह अपनी रक्षा के लिये चित्तौड़ से भाग गया। हाड़ा राजपूतों के द्वारा बहुत से सीसोदिया सैनिक और चित्तौड़ के सामन्त मारे गये। वचे हुए राणा के सैनिक युद्ध से भाग गये। विजयी हामाजी बूंदी राजधानी लौट गया। ___हाड़ा वंश के थोड़े से राजपूतों से पराजित होकर चित्तौड़ पहुँच जाने के बाद राणा ने अपना अपमान अनुभव किया और बूंदी के राजा से इस अपमान का बदला लेने के लिए उसने प्रतिज्ञा की कि जब तक मैं बूंदी पर अपना अधिकार न कर लूँगा, अन्न-जल ग्रहण न करूँगा। राणा की इस प्रतिज्ञा को सुनकर उसके मंत्री और सामन्त घबरा उठे। बूंदी राजधानी चित्तौड़ से साठ मील की दूरी पर थी और शूरवीर हाड़ा राजा उसकी रक्षा के लिये तैयार था। 217