पृष्ठ:राजस्ठान का इतिहास भाग 2.djvu/२५८

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करनी चाहिये। दोनों में इस बात का निश्चय हो गया और रानी उम्मेद सिंह को अपने साथ लेकर दक्षिण के मराठा सेनापति मल्हार राव होलकर के पास गयी और उससे मिल कर उसने बालक उम्मेद सिंह की दुरवस्था का सम्पूर्ण वृतान्त उसके सामने रखा। उसने सेनापति होलकर से कहा : "इस विपद में आपकी सहायता मांगने के लिये मैं आपको अपना भाई समझकर आई हूँ।" ____ मल्हार राव होलकर ने एक साधाण वंश में जन्म लिया था। परन्तु वह श्रेष्ठ वंश के अच्छे गुणों को समझता था। उसने सहानुभूति के साथ रानी की बातों को सुना और उसने पूरे तौर पर सहायता करने के लिये रानी को वचन दिया। रानी का विश्वास था कि मराठा सेनापति के चलने पर आमेर का राजा ईश्वरी सिंह युद्ध में परास्त होगा और वह सन्धि करने की चेष्टा करेगा। मल्हार राव होलकर अपनी सेना के साथ दक्षिण से रवाना होने के लिये तैयार हुआ और वह जयपुर के लिए रवाना हो गया। राजा ईश्वरी सिंह को मालूम हुआ कि मल्हार राव होलकर की सेना जयपुर पर आक्रमण करने के लिये आ रही है तो वह अपनी सेना के साथ अपनी राजधानी से निकला और मराठा सेना के साथ युद्ध करने के लिए आगे बढ़ा। ___ राजा ईश्वरी सिंह ने कुछ दिन पहले अपने मंत्री केशवदास को मरवा डाला था। इसलिये केशवदास के दोनों लड़के हरसहाय और गुरु सहाय ईश्वरी सिंह से ईर्ष्या करते थे और किसी प्रकार ऐसे पड़यंत्र की खोज मे थे, जिससे वे राजा ईश्वरी सिंह से अपने पिता का बदला ले सकें। आक्रमण के लिये मराठों की सेना आने पर वे दोनो भाई बहुत प्रसन्न हुये। लेकिन जाहिर तौर पर उन्होने राजा ईश्वरी सिंह के साथ अपनी पूरी सहानुभूति प्रकट की और उससे कहा : "आयी हुई मराठा सेना इतनी थोड़ी है कि आप उसे सहज ही पराजित कर लेंगे।" ___ मराठों की आयी हुई सेना प्रबल और विशाल थी। लेकिन मंत्री केशवदास के लड़कों ने राजा ईश्वरीसिंह को बिल्कुल धोखे में रखा। ईश्वरीसिंह अपनी सेना लेकर राज्य के बगरू नामक स्थान पर पहुंचा। उसने समझा कि मराठा सेना का अनुमान लगाने में हमने पूर्ण रूप से भूल की है। मराठा सेना इतनी बड़ी है कि उसको परास्त करना पूर्ण रूप से असम्भव है। इस प्रकार सोच-विचार कर राजा ईश्वरीसिंह बगरू के सामन्त के दुर्ग मे चला गया। यह जानकर मराठा सेना उस दुर्ग की तरफ रवाना हुई और वहाँ पहुँचकर उसने उस दुर्ग को घेर लिया। ईश्वरीसिंह दस दिनों तक उस दुर्ग में बना रहा। उसको युद्ध के लक्षण अच्छे नहीं मालूम हुये। इसलिये मराठा सेनापति के साथ उसने सन्धि करने का निश्चय किया। सन्धि के प्रस्ताव पर मल्हार राव होलकर ने ईश्वर सिंह से कहा :"भविष्य में ईश्वरीसिंह और उसके उत्तराधिकारियो का कोई भी अधिकार बूंदी राज्य पर न रहेगा, बूंदी का राज्य उम्मेदसिंह को दे दिया जाएगा और जयपुर का वर्तमान राजा इस बात को स्वीकार करेगा कि बूंदी के राज्य का अधिकारी उम्मेदसिंह है।" __ सन्धि के सबध में ऊपर लिखी हुई बाते सेनापति होलकर ने राजा ईश्वरी सिंह के सामने रखीं। उनको स्वीकार करने के सिवा ईश्वरी सिह के सामने कोई दूसरा रास्ता न था। 250