पृष्ठ:राजस्ठान का इतिहास भाग 2.djvu/२९१

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को अपनी आँखों से देखा। उसने इस बात को अनुभव किया कि शासन में अयोग्यता और कठोरता के कारण राज्य की यह अवस्था हुई है। उसने भली प्रकार इस बात को समझ लिया कि राज्य के किसान अधिक संख्या में जीवन की भयानक विपदाओं का भोग कर रहे हैं। इसी के कारण किसानों से वसूल होने वाली मालगुजारी वहुत कम हो गयी है। जालिम सिंह ने राजधानी छोड़ने और राज्य के छोटे-बड़े सभी स्थानों को देखने के बाद यह समझा कि राज्य के व्यवसायियों की दशा भी अच्छी नहीं है। उसने अभी तक प्रजा की पीड़ाओं को सुनने के लिए अपने कानों को बन्द कर रखा था, लेकिन अब उसे मालूम हो गया कि अगर राज्य की इस दुरवस्था में शीघ्र सुधार न हुआ तो भविष्य में किसी भी समय राज्य को संकटपूर्ण परिस्थिति का सामना करना पड़ेगा। राज्य की अवस्था को सुधारने के लिए सबसे पहले कृपकों की दशा को सुधारने की आवश्यकता है। इस प्रकार का निर्णय करके जालिम सिंह ने गागरोन के दुर्ग के पास अपने रहने का निश्चय किया। राज्य के श्रेष्ठ पुरुपों और सामन्तों ने भी उसका अनुकरण किया और उन्होंने भी अपने नगरों को छोड़कर जालिम सिंह के साथ रहना आरम्भ किया। उस स्थान पर एक शामियाना लगाया गया। जालिम सिंह ने उसी में स्थायी रूप से रहना आरम्भ किया और उसी स्थान से राज्य का समस्त कार्य आरम्भ हुआ। राज्य मे वह स्थान छावनी के नाम से कहा जाता था। दक्षिण की तरफ से कोटा राज्य में जाने के लिए जो रास्ते थे, यह मार्ग उनके बीच में था। दूसरी तरफ कोटा की अधीनता में भील जाति के लोग रहा करते थे। इस स्थान पर जालिम सिंह को एक सुभीता यह भी था कि वहाँ से शेरगढ़ और गागरोन के सुदृढ़ दुर्ग वहुत दूर न थे। जालिम सिंह ने युद्ध में काम आने वाली सामग्री और हथियारों को उन दुर्गों में रखकर सुरक्षित बना दिया था। इसके साथ-साथ उसने इस बात की पूरी चेष्टा की थी कि बाहरी कोई शक्ति आकर उन दुर्गो के भीतर प्रवेश न कर सके। उसने अपनी समस्त सेना को अंग्रेजी शिक्षा दी थी और इन दिनो में उसने लड़ाई के बहुत से अस्त्र-शस्त्र विदेशों से मंगवा लिये थे। उसने अपनी सेना को शक्तिशाली बनाने में कोई उपाय बाकी नही रखा था। उसने इस बात का पूरा-पूरा प्रबन्ध कर लिया था कि राज्य में कोई बाहरी शक्ति सफलता प्राप्त न कर सके। इस प्रकार का प्रवन्ध वह राजधानी के महल में रहकर नहीं कर सकता था। इसलिए उसने राजधानी के बाहर अपने रहने के लिए स्थान चुना था। ____जालिम सिंह को अभी तक अपने राज्य की भीतरी परिस्थितियों को समझने का अवसर नहीं मिला था। कोटा राज्य में अब तक प्राचीन काल के बने हुए नियमों का पालन होता था। लेकिन इन दिनों में उसने भली प्रकार समझ लिया कि प्राचीन काल के नियमों से अब काम न चलेगा। क्योंकि वे नियम राज्य की व्यवस्था करने में बहुत अन्याय पूर्ण थे। वे किसानों से नियम के विरुद्ध इतना अधिक कर वसूल कर लेते थे, जो किसी प्रकार न्यायपूर्ण नहीं था। उसके परिणामस्वरूप किसानो की दशा अत्यन्त शोचनीय हो गयी थी। इस प्रकार का अन्याय राज्य मे उन पटेलों के द्वारा होता था, जिनको राज्य की भूमि का प्रबन्ध करने के लिए पूर्ण रूप से अधिकारी बना दिया गया था। उन पटेलों ने राज्य के कृपकों के साथ बेईमानी करके अपने आप को सम्पत्तिशाली बनाने का काम किया था। 285