पृष्ठ:राजस्ठान का इतिहास भाग 2.djvu/३०४

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था और स्वाभिमानी होने पर भी विनम्र हो जाना खूब जानता था। वह पूर्ण रूप से निर्भीक था। जो कुछ निर्णय करता था, निडर होकर उसके अनुसार काम करता था। सन् 1806 और 1807 ईसवी में तीन राजाओ में संघर्प पैदा हुआ। तीनो की तरफ से युद्ध की तैयारियाँ होने लगी और उन तीनों ने जालिम सिंह से युद्ध के लिए सहायता मांगी। बुद्धिमान जालिम सिंह ने उन तीन में से एक की भी सहायता न की और तीनों को उसने अपनी तरफ से सन्तुष्ट रखा। उस अवसर पर उसकी यह सफलता उसके श्रेष्ठ राजनीतिज्ञ होने का स्पष्ट प्रमाण देती है। ____मराठा सेनापति होलकर पर आक्रमण करने के लिए जिस समय अंग्रेजी सेना को लेकर जनरल मानसन मध्य भारत की ओर रवाना हुआ, उस समय जालिम सिंह ने बड़ी दूरदर्शिता से काम लिया। वह अग्रेजो की शक्ति पर विश्वास करता था। इसलिए अंग्रेजी सेना के कोटा राज्य में आते ही उसने सभी प्रकार उसका स्वागत किया। परन्तु होलकर के साथ युद्ध करते हुए सेनापति मानसन के भागने पर जालिम सिंह ने परिस्थिति के अनुसार अपने आपको बदल दिया। उस समय जब सेनापति मानसन ने कोटा राज्य से होकर निकल जाने के लिए उससे प्रार्थना की तो जालिम सिंह ने उसकी मॉग को अस्वीकार करते हुए कहा : "इस राज्य में आप की सेना के प्रवेश करने से अराजकता पैदा हो जाने की पूरी सम्भावना है। इसलिए आप अपनी सेना को लेकर कोटा राज्य की सीमा से निकल जावें। मैं उस समय सभी प्रकार आपकी सेवा और सहायता करूँगा और मेरे ऐसा करने पर यदि आप का शत्रु इस राज्य पर आक्रमण करेगा तो मैं उसके साथ युद्ध करूँगा।" सेनापति मानसन जालिम सिंह के इस उत्तर को पाकर कोटा राज्य से नहीं गया। वह बूंदी और जयपुर राज्य में से होकर निकला और सेनापति लेक के पास पहुँच कर होलकर से युद्ध में होने वाली पराजय उसने उसको बतायी। होलकर के साथ होने वाले युद्ध में राजस्थान के जिन राजाओ ने उसकी सहायता की थी, उसमे उसने अनेक परिवर्तन किये और अपनी मर्यादा को बनाये रखने के लिए उसने बहुत सी बातें घटा-बढ़ा कर कहीं। सेनापति मानसन ने जालिम सिंह पर भी अपराध लगाया और सेनापति लेक को समझाते हुए उसने कहा कि होलकर के साथ होने वाले युद्ध मे जालिम सिंह ने खुलकर हमारी सहायता नहीं की। जनरल मानसन ने सेनापति लेक से जालिम सिंह के सम्बन्ध में यह बात बिल्कुल निराधार कही। वास्तव में जालिम सिंह ने जनरल मानसन के प्राणों की रक्षा करने के लिए पूरी शक्ति लगा कर सहायता की थी। जालिम सिंह के आदेश के अनुसार ही कोइला के सामन्त लखन ने उस समय मराठो के साथ युद्ध किया था और अंग्रेजों की सहायता करते हुए वह युद्ध में मारा गया। __ अंग्रेजी सेनापति मानसन की तरफ से कोइला के सामन्त ने मराठा होलकर के साथ जो युद्ध किया था, उसमे अपनी सेना के बहुत-से आदमियों के साथ वह सामन्त मारा गया और जालिम सिंह का सेनापति बख्शी कैद कर लिया गया। होलकर ने बख्शी से दस लाख रुपये का एक कागज लिखा लिया और यह कहकर उसे जालिम सिंह के पास भेजा कि अगर वह दस लाख रुपये जालिम सिंह से लाकर हमे दे देगा तो हम उसको छोड़ देंगे। लेकिन अगर ये रुपये जालिम सिंह ने न भेजे तो मैं कोटा राज्य पर आक्रमण करूँगा और सभी प्रकार राज्य का विनाश करूँगा। 298