पृष्ठ:राजस्ठान का इतिहास भाग 2.djvu/३०९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

________________

महरावखाँ नाम के दो आदमी जालिम सिंह के अत्यन्त विश्वासी कर्मचारी थे। उनके साथ वह मित्रता का व्यवहार करता था। कोटा का विशाल दुर्ग भारतवर्ष में प्रसिद्ध है, वह दलेलखाँ का बनवाया हुआ है। इसी दलेलखाँ ने झालरापाटन नाम का एक प्रसिद्ध नगर वसाया था। कोटा राज्य में जितने भी दुर्ग हैं उनमें सुधार और संशोधन का कार्य भी इसी दलेलखों के द्वारा हुआ था। जालिम सिंह दलेलखाँ का बहुत आदर करता था। वह दलेलखाँ के सम्बन्ध मे प्रायः कहा करता था : "दलेलखाँ के बाद मैं जीवित नहीं रह सकता।" ____ महाराव खॉ कोटा राज्य की पैदल सेना का सेनापति था। उसने अपनी इस सेना को अत्यन्त योग्य और शक्तिशाली बना दिया था* कोटा की पैदल सेना के सैनिकों को महीने में वीस दिनों का वेतन दिया जाता था। लेकिन दो वर्ष बीत जाने पर उनका वाकी वेतन भी दे दिया जाता था। x जालिम मिह झाला वंश का राजपूत धा और झालरापाटन झाला वंशीय राजपूतो का नगर है। महराव खाँजालिम सिह की एक सेना का गुरवीर और विश्वासी सेनापति था।अंग्रेजों का पक्ष लेकर वह अपनी सेना के साथ मराठा सेनापति होलकर से युद्ध करने गया था और आठ दिनों में उसने हाडांती राज्य में उन सब नगरो और ग्रामो पर अधिकार कर लिया था जो बहुत दिनो से होलकर के अधिकार में चले आ रहे थे। उसकी मेना ने साँदी दुर्ग की लडाई में अपनी वीरता का परिचय दिया था। 303