पृष्ठ:राजस्ठान का इतिहास भाग 2.djvu/३५८

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मीणा लोगों का ठहरना कठिन मालूम हो रहा था। इसी समय गिरनार और दूसरी सेना ने आगे बढकर भीपण युद्ध आरम्भ किया। इसी समय मीणा सरदार की तरफ से नाहर नामक एक योद्धा राजपूतों से युद्ध कर रहा था। प्रत्येक शूरवीर अपने हाथों में तलवारें लिए हुए और अपने वश के देवता की जय-जयकार करते हुए युद्ध मे आगे बढ़ रहा था। ___ चौहान नरेश पृथ्वीराज इस समय युद्ध में मौजूद था। उसने नाहर का सामना किया। परमार वश के राजपूत अपने हाथो में तलवारें लिए हुये काले बादलों की तरह आगे बढ़ रहे थे। मण्डोर के राजा का भाई भी इस समय युद्ध कर रहा था। इसी समय परमार राजपूतो के राजा के सिर पर रखा हुआ शिरस्त्राण तलवार की चोट खाकर दो टुकडे हो गया और नीचे गिर गया। इसी समय परमार राजपूत जख्मी होकर पृथ्वी पर गिरा। माहीर लोग सदा से अत्याचारी रहे हैं। वे आजकल जिस प्रकार उपद्रवी देखे जाते हैं, बारहवीं शताब्दी में भी वे वैसे ही थे। कई मौकों पर उनका दमन किया गया था। लेकिन अवसर पाने पर वे फिर विद्रोह करते रहे हैं। राजपूत राजाओ के द्वारा कई बार इन मीणा लोगों का दमन हो चुका था। लेकिन मराठो के आने पर इन लोगों ने फिर से अत्याचार और उपद्रव करना आरम्भ कर दिया। सन् 1821 ईसवी में दूसरे अत्याचारियों का दमन करने के साथ-साथ इन लोगों का भी दमन किया गया और उसमें बहुत बड़ी सफलता भी मिली। लेकिन कुछ कारणों से वह सफलता स्थायी रूप मे न रह सकी। माहीर, मराठा, पिण्डारी और पठान लोगों के अत्याचार राजपूतों पर बहुत दिनों तक होते रहे। आपसी फूट, विरोध, द्वेप और विद्रोह के कारण राजपूत लोग उनको परास्त करने में असमर्थ रहे। राजपूतों के आपसी विरोध ने उनको इस योग्य नहीं रखा कि वे शत्रुओं को पराजित कर सकते। सदा हालत यही रही कि जब राजपूत राजा आक्रमणकारी शत्रु के साथ युद्ध करने के लिए जाता तो दूसरा राजपूत राजा आक्रमणकारी को आश्रय देकर उसकी सहायता करता। इसका अभिप्राय यह था कि आपस में फैली हुई फूट के कारण राजस्थान के सभी छोटे और बडे राजा एक दूसरे के विध्वंस और विनाश में लगे हुए थे। उनके सर्वनाश का यही एक प्रधान कारण हुआ। राजपूतों के आपसी वैमनस्य के कारण माहीर लोगों की शक्तियाँ प्रबल हो गयी थीं। लेकिन जब अंग्रेज सरकार ने राजपूत राजाओ का संगठन करके इन लोगों का दमन किया, उस समय आक्रमणकारियो को राजस्थान में कहीं पर भी आश्रय नहीं मिला और न उनको किसी से किसी प्रकार की सहायता प्राप्त हो सकी। इसलिए आक्रमणकारियों का साहस सदा के लिए पस्त हो गया। उनके अत्याचार वहीं से खत्म हो गये। __ मीणा लोगों के सम्बन्ध में अधिक हम आगे लिखने की कोशिश करेंगे। यहाँ पर संक्षेप मे कुछ प्रकाश डालकर समाप्त कर देगे। माहीर लोग अपने पूर्वजों के निर्धारित नियमो का आज तक पालन करते है। उनमे नया कोई परिवर्तन देखने मे नही आता। उन लोगो मे विधवाओं के साथ विवाह किये जाते है। विधवाओ के साथ होने वाले विवाह को उनमें 'नाथ विवाह' कहा जाता है। राजपूत लोग विवाह के समय कागली नामक एक दण्ड उनसे लिया 352