पृष्ठ:राजस्ठान का इतिहास भाग 2.djvu/३६४

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सोलंकी सामन्त के लडके के साथ राजा चण्ड की एक लड़की व्याही थी। इसलिए पृथ्वीराज ने जो कुछ सोचा था, उसमें एक बडी बाधा दिखाई पड़ने लगी। पृथ्वीराज किसी प्रकार देसूरी से चौहानो का अधिकार हटाना चाहता था। उसने राजनीतिक दूरदर्शिता से काम लिया और उसने सोलंकी सामन्त के साथ परामर्श करके यह निश्चय किया कि देसूरी से चौहानों का आधिपत्य हटा कर उसका अधिकार सोलंकी सामन्त को दे दिया जाएगा। उस सामन्त के साथ पृथ्वीराज का यह निर्णय हो गया। सोलकी सामन्त भी ऐसे अवसर पर सोच-समझकर काम करना चाहता था। इसलिए कि देसूरी पर जिस चौहान राजा के साथ उसको यह युद्ध आरम्भ करना था, उसकी लड़की के साथ उसका लड़का व्याहा था। लेकिन दूसरी तरफ उसने पृथ्वीराज के साथ जो निश्चय किया था, उसमें उसको देसूरी के अधिकार का प्रलोभन था। इस अवस्था में उसने एकान्त मे अपने लडके के साथ परामर्श किया और अपने लडके के साथ अपनी स्त्री को देसूरी मे रहने के लिए भेज दिया। सामन्त का लड़का अपनी माता के साथ वहाँ जाकर रहने लगा। धीरे-धीरे कुछ दिन बीत गये। वहाँ पर उसको कोई मौका नहीं मिला। इन्हीं दिनों में एक और बाधा पैदा हुई। चौहान राजा चण्ड के एक लड़के के साथ वालेचा के सामन्त सागर की एक लड़की का विवाह होना निश्चित हुआ। जब यह समाचार शुद्धगढ़ के सोलंकी सामन्त के लड़के को मालूम हुआ तो उसने अपने पिता को छिपे तार पर लिख दिया कि चण्ड के लड़के का विवाह बालेचा सामन्त की लड़की के साथ होने जा रहा है। विवाह के उस मौके पर राजा चण्ड अपने लड़के के साथ बालेचा जाएगा। उस मौके पर देसूरी पर अधिकार कर लेना बड़ी आसानी से सम्भव हो सकता है। राजा चण्ड के लडके की बाराज जाने पर मैं देसूरी के दुर्ग के ऊँचे शिखर पर आग प्रज्वलित करुंगा। उस अवसर पर आप अपनी सेना के साथ यहाँ आकर अधिकार कर ले। इस प्रकार लडके का पत्र पाकर सोलंकी सामन्त बहुत प्रसन्न हुआ और वह सन्तोपपूर्वक अपने लडके के बताये हुए संकेत की प्रतीक्षा करने लगा। इन दिनों मे उसने इस बात की पूरी तौर पर तैयारी कर ली कि अवसर आने पर वह किस प्रकार अपनी सेना को लेकर रवाना होगा और देसूरी में पहुंचकर किस तरीके से वह उस पर अधिकार करेगा। अपनी तैयारी के साथ वह सामन्त जिस अवसर की प्रतीक्षा कर रहा था, उसके लिए उसको बहुत दिनो तक रूकना नहीं पड़ा। एक दिन एकाएक उसने देसूरी के दुर्ग के ऊपर धुआँ उठता हुआ देखा। वह तुरन्त अपनी सेना को लेकर और अरावली पर्वत से उतर कर आगे की तरफ बढा। देसूरी में दुर्ग के ऊपर जब चौहान राजा की स्त्री ने धुआँ उठते हुए देखा तो उसने अपने आदमी भेज कर जमाता से पूछा : "शिखर पर यह किस प्रकार का धुऑ हो रहा है? मेरे लडके के विवाह के लिए यहाँ से बारात गयी है और वह विवाह के बाद बहू को अपने साथ लेकर यहाँ आवेगा। इसलिए दुर्ग के ऊपर जो आग जलाई गई है, वह किसी का दाह-सस्कार सा मालूम होता है। यह लक्षण किसी प्रकार शुभ नही है।" रानी ने जमाता से बातें करने के लिए अपना एक विश्वामी नौकर भेज दिया था। उसके बाद एकाएक उसको अपनी राजधानी मे बड़ा गडबड सुनायी पड़ा। उसे मालूम हुआ 358