पृष्ठ:राजस्ठान का इतिहास भाग 2.djvu/३८८

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जो शिक्षा मिलती है, वह दूसरों से मिलने वाली शिक्षा से विल्कुल भिन्न होती है। कठिनाइयों में पड़कर मनुष्य को कुछ न कुछ हो जाता है। अपने जीवन की दुरवस्थाओं में राजा मानसिंह की दशा भी बहुत कुछ इसी प्रकार की हो गयी थी। कैदी जीवन से छुटकारा पाने के बाद भी राजा मानसिंह के विचारों में परिवर्तन न हुआ। बन्दी जीवन में जिन बातों का, सुविधाओं का और सौभाग्यपूर्ण अवस्थाओं का उसके निकट अभाव रहा था, उन सबके प्रति आज उसने अपनी तरफ से तिरस्कार-मा कर रखा है। जो उसकी अधीनता में काम करते हैं और राज्य के ऊँचे पदों पर नियुक्त हैं, उन सबका विनाश करने के लिए वह चुपके-चुपके एक पड़यंत्र की रचना किया करता है। उसने अव तक कितने ही लोगों का सर्वनाश किया है और जिन लोगों का विनाश हुआ है, उनमें से एक सामन्त सुरतान सिंह था, जिसका ऊपर वर्णन किया जा चुका है। राठौर राजपूतों की श्रेष्ठता को समझने के लिए हमें भाटों और कवियों की कविता की जरूरत नहीं है। इसलिए कि उनके गौर्य, विक्रम और प्रताप से इतिहास के न जाने कितने पन्ने भरे हुए हैं। उनकी यह श्रेष्ठता ऐतिहासिक ग्रन्थों से कभी नष्ट नहीं हो सकती। चौहान राजपूतों की भी यही अवस्था है। राजपूतों में राठौरों और चाहानों का स्थान ऊँचा है। राठौर राजा सीहा जी के वंश से उत्पन्न होने वाले चंड और जोधा तथा उसके उत्तराधिकारी राजा मानसिंह की मान-मर्यादा पृथ्वी पर चिरकाल तक कायम रहेगी। राजा के हाथों से इत्र और पान लेकर मैंने सम्मानपूर्वक उसको नमस्कार किया। राजस्थान के राज दरवारों में सिर पर पगड़ी बाँधे हुये और नंगे पैर बैठने की प्रथा है। साधारण लोगों के बैठने के लिए सफेद चद्दर के ऊपर एक विशाल कालीन विछा हुआ था। मैंने देखा कि उस पर लोग जूता पहनकर नहीं बैठते । उसके बाहर लोग जूता उतार देते हैं और मोजा पहने हुये उस बिछे हुए विछौने पर आकर बैठते हैं। ऐसे ही यहाँ का नियम है। राजा मानसिंह ने मुझको सजा हुआ हाथी, घोड़ा, सोने और चाँदी के काम के वस्त्र और अनेक बहुमूल्य पदार्थ उपहार में दिये। इसके साथ ही जितने भी लोग मेरे साथ थे; राजा ने सबको उनकी मर्यादा के अनुसार भेटें दी। छठी तारीख को मैंने दूसरी बार राजा से मुलाकात की। बहुत देर तक हम दोनों में बातें होती रहीं। उस समय राजा के एक विश्वासी अनुचर के सिवा वहाँ पर कोई न था। वातचीत के सिलसिले में मुझे मालूम हुआ कि राजा समझदार और योग्य व्यक्ति है और उसे अपने देश के इतिहास का अच्छा ज्ञान है। उसने अपने वंश की एक ऐतिहासिक पुस्तक मुझे दी थी। वह पुस्तक मेंने रायल एशियाटिक सोसायटी की लाइब्रेरी में दी है। राजा अच्छा पढ़ा-लिखा आदमी है। उसने अनेक विषयों की जानकारी मुझे कराई और मेरे साथ उसने व्यक्तिगत वातें बड़ी देर तक की। उसका गुरु उसका मंत्री और मित्र भी था। अनेक घटनायें महत्त्वपूर्ण वन गयी हैं। उन घटनाओं को राजा के सिवा दूसरा कोई नहीं जानता। उसने अपने जिस उद्देश्य के लिए सामन्त सुरतान को मरवा डाला था, उसके सम्बन्ध में यहाँ पर कुछ प्रकाश डालना आवश्यक मालूम होता है। 382