पृष्ठ:राजस्ठान का इतिहास भाग 2.djvu/५९

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अध्याय-53 सालिम सिंह के पैशाचिक कार्य कृष्ण के स्वर्गवासी होने पर यदुवंश का इतिहास इस परिच्छेद में पहले बहुत कुछ लिखा जा चुका है और शेष आगामी पृष्ठों में लिखा जाएगा। जैसलमेर का यदुवंशी रावल मूलराज कृष्ण वंशज था और उसने वहाँ के सिंहासन पर बैठकर, जैसा कि पहले लिखा जा चुका है, अट्ठावन वर्ष तक राज्य किया। परन्तु वह नाम के लिये राजा था। उसके शासन के आरम्भ मे मेहता स्वरूपसिंह राज्य का प्रधान मंत्री वना। मूलराज आरम्भ से अन्त तक अपने प्रधानमंत्री के हाथ का खिलौना रहा। उसमें शासन की योग्यता न थी और एक राजपूत में जिन गुणों की आवश्यकता होती है, उनका उसके जीवन मे पूर्ण रूप से अभाव था। यही कारण था कि उसके मन्त्रियों ने राज्य को रसातल मे पहुंचा दिया और जो सामन्त अथवा मूलराज के वंश के लोग राज्य के शुभचिंतक थे, उनकी हत्यायें करवाई गई। इन सब वातों के परिणामस्वरूप जैसलमेर राज्य का पूरे तौर पर पतन हुआ और जो यदुवंश अपने गौरव के लिए बहुत प्रसिद्ध हो चुका था, भयानक रूप से उसका अधःपतन हुआ। सन् 1818 ई. मे मूलराज ने ईस्ट इण्डिया कम्पनी के साथ सन्धि की और उसके दो वर्ष बाद सन् 1820 ई में उसकी मृत्यु हो गयी। उसके वाद उसका प्रपौत्र गजसिंह जैसलमेर के सिंहासन पर बैठा। प्रधानमंत्री सालिमसिंह ने राज्य के दूसरे उत्तराधिकारियो का सर्वनाश करके राजकुमार गजसिंह को उत्तराधिकारी घोषित किया था। राज्य के प्रधानमंत्री का यह कार्य पूर्ण रूप से अनैतिक था। परन्तु उसे सफलता मिली और मूलराज के मरने पर वही गजसिंह-जिसको प्रधानमंत्री सालिम सिंह सिंहासन पर विठाना चाहता था-राज्य का शासक बना। ने रावल मूलराज के शासनकाल मे राज्य का संचालक प्रधानमंत्री था और उस प्रधानमंत्री मूलराज के बाद भी शासन की सत्ता को अपने हाथ में बनाये रखने के लिये गजसिंह का समर्थन किया। राज्य के दूसरे उत्तराधिकारियों से सालिमसिंह को पहले से ही कोई आशा क्यों न थी और उसने गजसिंह से अपने सम्बन्ध में पूरी आशायें किस आधार पर रखी थीं, इसको स्पष्ट करने के लिए प्राचीन ग्रन्थो में कोई उल्लेख नहीं मिलता। लेकिन यह वात सही है कि प्रधानमंत्री सालिम सिंह ने गजसिंह से जो आशाये की थीं,वे पूरे तौर पर पूरी हुई। गजसिंह सालिमसिंह के बल पर राज्य सिंहासन पर बैठा और राज्याधिकार प्राप्त करने के बाद वह सालिमसिंह के हाथों की कठपुतली बनकर रहा। गजसिंह की शिक्षा-दीक्षा का कार्य उसकी छोटी आयु से ही सालिमसिंह के हाथ मे रहा था। उसने गजसिंह को जिस साँचे में ढालना चाहा था, गजसिंह उसी साँचे में ढ़ला। पुराने 53