पृष्ठ:राजस्ठान का इतिहास भाग 2.djvu/६३

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- गये थे। बारू राज्य खारीपट्टा के नजदीक है। बीकानेर के राठौरों ने भट्टी लोगों से खारी पट्टा को लेकर अपने अधिकार में कर लिया था। राठौरों के साथ भट्टी लोगों के झगड़े का कारण यह है कि राठौरों ने भट्टीवंश के बहुत-से स्थानों पर अधिकार कर लिया था। इस प्रकार की घटनायें पच्चीस वर्ष पहले हो चुकी थीं। राठौरों ने बारू राज्य पर आक्रमण करके भाटी लोगों का एक तरह से संहार किया। नगरों और ग्रामों को लूटकर बुरी तरह विध्वंस किया और वहाँ के निवासियों के साथ अनेक प्रकार के अत्याचार किये। भाटी वंश के जो लोग उस सर्वनाश से वच गये थे, वे मरुभूमि के एक दूरवर्ती स्थान पर जाकर रहने लगे। इस घटना के बाद धीरे-धीरे बहुत दिन बीत गये। भाटी वंश के जो लोग बच गये थे, मरुभूमि के उस स्थान पर-जहाँ पर जाकर वे रहने लगे थे-उनके वंश की वृद्धि हुई। जैसलमेर के साथ ईस्ट इण्डिया कम्पनी की सन्धि हो जाने पर वे भाटी लोग अपने प्राचीन नगरों में आकर बस गये। प्रधानमंत्री सालिम सिंह को जब यह मालूम हुआ तो वह उन भाटी लोगों पर बहुत क्रोधित हुआ और मालदेवोत लोगों का विध्वंस करने के लिए उसने राठौरों से परामर्श किया। सालिम सिंह ने जैसलमेर के जव अनेक सामन्तों का नाश किया, तो उस समय वह एक प्रकार से राक्षस बन चुका था और उसने बारू के सामन्त की भी हत्या करायी थी। वारू का सामन्त राजकुमार हृदय से रायसिंह का पक्षपाती था और समय-समय पर उसने रायसिंह की सहायता भी की थी। उसके इस अपराध से जलकर सालिम सिंह ने उसको भी मरवा डाला। प्रधानमंत्री की यह शत्रुता वारू राज्य के प्रत्येक व्यक्ति के साथ पैदा हो गयी थी। सालिम सिंह वारू के सर्वनाश की बात बरावर सोचा करता था। इसके लिए उसे अवसर मिल गया। पेशवा और ईस्ट इण्डिया कम्पनी के युद्ध के दिनों में पेशवा का एक राज कर्मचारी ऊँट खरीदने के लिए जैसलमेर आया और चार सौ ऊँट खरीद कर जिस समय वह जैसलमेर से बीकानेर राज्य मे पहुँचा,उस समय वारू राज्य के सरदार ने अपने सैनिकों के साथ पेशवा के आदमी पर आक्रमण किया और उसके ऊँट लेकर अपने अधिकार में कर लिए। इस समाचार को सुनकर बीकानेर के राजा ने मालदेवोत लोगों के विरुद्ध अपनी एक सेना भेजी। इस अवसर पर सालिम सिंह ने बीकानेर के राजा को मालदेवोत लोगों के विरुद्ध उकसाने का काम किया था; अन्यथा बीकानेर के राजा ने उनके विरुद्ध अपनी सेना न भेजी होती। सालिम सिंह अत्यन्त धूर्त था। उसने छिपे तौर पर बीकानेर के राजा को मालदेवोत लोगों पर आक्रमण करने के लिए तैयार किया। परन्तु जाहिर तौर पर इस झगड़े को रोकने की वह कोशिश करता रहा। सालिम सिंह ने इस अवसर पर अपनी कूटनीति का प्रयोग किया। वह इसका जो फल देखना चाहता था, उसका उलटा हुआ। बीकानेर की सेना ने मालदेवोत लोगों के नोखा और वारू में पहुँच कर भयानक उत्पात किया। वहाँ के सामन्तों को मार डाला और उस ग्राम के सभी कुएँ बन्द करवा दिये। इसके बाद बीकानेर की सेना वीरमपुर की तरफ रवाना हुई और जैसलमेर राज्य के कई स्थानों पर अत्याचार किया। इस समाचार को सुनकर सालिम सिंह ने कम्पनी के अंग्रेजों से सहायता मांगी। संधि के अनुसार जैसलमेर की रक्षा करने के लिए अंग्रेजों की सेना आयी और उसके फलस्वरूप बीकानेर की सेना अपनी राजधानी लौट गयी। इस प्रकार सालिम सिंह ने बीकानेर के राजा को उकसाकर बारू के सामन्त के प्राण लिए। 57