पृष्ठ:राजस्ठान का इतिहास भाग 2.djvu/७

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जैसलमेर का इतिहास यदुवंशी भाटियों का जैसलमेर भारत की मरुभृमि में फैले हुए राज्य का आधुनिक नाम जैसलमेर है। प्राचीनकाल में इस राज्य का नाम मेर था, जेमाकि इस देश के पुराने भूगोल से प्रकट होता है। राज्य की भूमि वालुकामय पथरीली होने के कारण इसका नाम पहले मेर राज्य था। भारत के सम्पूर्ण मरुक्षेत्र में यही एक राज्य ऐमा हे, जिसकी भूमि मे कंकड़-पत्थर वहुत है। इस राज्य की अनेक वातें ऐसी हैं, जो ऐतिहासिक अनुसन्धान करने वालों को अपनी ओर आकर्पित करती है, उनमें यहाँ की खेती, रहने वाली जाति की स्वाभाविकता और राज्य की प्राकृतिक सुन्दरता का विशेप स्थान है। इस राज्य की भाटी जाति यदुवंशी राजपूतों की एक शाखा है। तीन हजार वर्ष पहले ये भाटी लोग अत्यन्त शक्तिशाली थे और जो राजा आजकल भारत के इस दूरवर्ती भाग में शासन करता है । वह यदुवंशी राजाओं का वंशज होना स्वीकार करता है। वह जमुना नदी के निकटवर्ती स्थानों से लेकर जगतकुण्ठ तक का राजा है। इस जगतकुण्ठ का नाम वाद में द्वारिकापुरी पड़ा। इन लोगों का कोई क्रमबद्ध इतिहास नहीं मिलता, जिससे इनके पूर्वजो के सम्बन्ध में विस्तार के साथ क्रम में लिखा जा मके, परन्तु जो कड़ियाँ मिलती हैं, उनसे एक ऐसी श्रृंखला तैयार हो जाती है जो उनके मौलिक सम्बन्ध को उपस्थित करती है। यदुवंशी भाटी लोगों के इतिहास की खोज करते समय दो अनुमान हमारे मस्तिष्क में क्रमश: उत्पन्न होते हे और उन दोनो पर सहज ही अविश्वास करना कठिन मालूम होता है। पहला अनुमान तो यह है कि यदुवंशी भाटी मीथियन लोगो से उत्पन्न हुए हैं और उनके पूर्वज सीथियन जाति के लोग थे। दूसरे अनुमान से यह धारणा होती है कि इन लोगो की मृल उत्पत्ति हिन्दुओं से है। मनुष्य जाति के सम्बन्ध में खोज करते हुए जव हम इतिहास के अत्यन्त प्राचीनकाल में पहुँच जातं हैं, जब सीथियन और हिन्दुओ के पूर्वज एक ही थे तो हमें इतिहास के इस सत्य पर विश्वाम करना पड़ता है कि इन दोनों जातियों की मृल उत्पत्ति एक थी और उनके आदि पूर्वज एक थे। उन पूर्वजो के वंशज अपने मूल निवास को छोड़कर एक,दूसरे से पृथक् हो गये। कुछ लोग सीथिया में जाकर रहने लगे और वे सीथियन नाम से प्रसिद्ध हुये। दूसरे लोगो ने · रत में आकर रहना आरम्भ किया और हिन्दुओ के नाम से प्रसिद्ध हुये। क् के कास्पियन सागर में लेकर गगा के किनारे तक जितनी जातियाँ इस समय रहती थीं, उन सवकी उत्पत्ति एक ही - 1