पृष्ठ:राजस्ठान का इतिहास भाग 2.djvu/७७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

सिया जी के वंशजों के आने पर सानीगुरी का शासन वहाँ पर समाप्त हो गया और वे लोग निर्वासित अवस्था में चित्तलवाना में जाकर रहने लगे। भद्राजून, महेवा, जैसोल और सिन्द्री की बड़ी-बड़ी जागीरों के अतिरिक्त सेवांची, मीनमल, साँचोर और मोरसेन के छोटे-छोटे जिले जालौर राज्य में शामिल हैं। उनकी भूमि उपजाऊ है, पानी की सुविधायें हैं और उन सब की लम्बाई-चौडाई नव्वे मील है। वहाँ पर अच्छे प्रवन्ध की आवश्यकता है, जिससे वहाँ की भूमि अधिक उपयोगी बन सके। यदि ऐसा किया जा सके तो वहाँ की आमदनी से जोधपुर के राजा का निजी खर्च भली प्रकार चल सकता है। परन्तु राज्य की ओर से अच्छा प्रवन्ध न होने के कारण वहाँ पर अराजकता बढ़ गयी है, राज्य की ओर से जो कर्मचारी प्रबन्ध करते हैं, वे वहुत अधिक वेईमान हो गये हैं और पहाड़ी जातियों के लुटेरों के कारण वहाँ की भयानक अवनति हुई है। इन सभी जागीरो और छोटे-छोटे जिलों में अनेक पहाड़ियाँ हैं। उन्हीं पहाड़ियों में से एक पर दुर्ग बना हुआ है। इन पहाड़ियों का सिलसिला आबू पर्वत तक पाया जाता है। वहाँ पर अनेक प्रकार के जंगली वृक्ष पाये जाते हैं। जालौर का दुर्ग मारवाड़ की दक्षिणी सीमा के ऊपर वहुत-कुछ सहायक सिद्ध हुआ है। जिस पहाड़ी पर यह दुर्ग बना है, वह उत्तर की ओर सिवाना तक चली गई है और उसकी ऊँचाई तीन सौ से चार सौ फीट तक है। दुर्ग की बुर्जा पर तोपें रखी हुई हैं। इस दुर्ग के चार विशाल द्वार हैं। नगर की तरफ का द्वार सूरजमेल कहलाता है। उत्तर-पश्चिम का द्वार वालपोल कहलाता है। वहाँ पर जैनियों के गुरू पारसनाथ का मन्दिर है। दुर्ग के भीतर बहुत-से कुए और दो बड़ी-बड़ी बावडियाँ हैं। उत्तर की पहाड़ी नदियों को बाँधकर छोटी-सी झील वनायी गयी है। परन्तु उसका एकत्रित जल मुश्किल से छः महीने तक काम देता है। नगर मे तीन हजार सत्रह घर हैं। यह नगर दुर्ग के उत्तर और पूर्व की ओर वसा हुआ है। पूर्व की तरफ लगभग एक मील की लम्बाई में सुक्री नाम की नदी प्रवाहित होती है। रक्षा के लिए इस नगर के चारों तरफ मजबूत दीवार वनी हुई है और एक दुर्ग है, जिस पर तोपें रखी रहती हैं। नगर में अनेक जातियों के लोग रहते हैं। आश्चर्य की बात यह है कि इस बड़ी आवादी में राजपूतों के केवल पाँच परिवार रहते हैं। सन् 1813 में मेरी एक समिति ने यहाँ की जो मनुष्य गणना की थी वह इस प्रकार है- जाति घरों की संख्या 140 100 60 माली तेली कुम्हार ठठेरा धोबी व्यवसायी मुसलमान 30 20 1156 936 71