पृष्ठ:राजस्ठान का इतिहास भाग 2.djvu/८७

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आरोर के सम्बन्ध में हम पहले वर्णन कर चुके हैं। यह नगर सिन्धु नदी के दूसरी तरफ वेखर से छ: मील पूर्व की ओर नक्शे में देखा जाता है और यह ओमुरसुमरा के अन्तर्गत था। प्राचीनकाल में ओमुरसुमरा की क्या दशा थी, यह हमें नहीं मालूम। पाँच सौ वर्ष पहले सुमरा जाति के राजपूतों का यहाँ पर शासन था। उनके निर्वल पड़ जाने पर और विरोधी सिन्ध तुम्भा के शक्तिशाली हो जाने पर राज्य की परिस्थितियाँ बदलीं। परन्तु सिंध तुम्भा के राजाओं को भाटों लोगों के द्वारा पराजित होना पड़ा। उसके वाद इस राज्य का नाम भाटी पोह हुआ। परन्तु उसके प्राचीन नाम ओमुरसुमरा को अब तक लोग भूल नहीं सके। वहाँ पर गड़रियों छोटे-छोटे गाँव अब तक पाये जाते हैं। यहाँ के राज्यों में मध्यवर्ती और पश्चिमी राजस्थान के भट्टी लोगों, चावड़ा लोगों, सोलंकियों, गहिलोतों और राठौरों को वस्तियाँ पायी जाती हैं। आरोर को कुछ लोग अलोर भी कहते हैं। अबुल फजल ने लिखा है-"मरुभूमि के नौ भागों में आरोर एक भाग था और वहाँ पर प्रमार वंशी राजपूत शासन करते थे। इन प्रमारों की कई शाखायें हैं और सोढा वंश भी प्रमारों की शाखा है। वेखर अथवा मानसूरा का टापू आरोर से कुछ मील पश्चिम की तरफ है और वह सोदगी की राजधानी कही जाती है।" सोदगी और सोढा एक ही नाम है। सोढा राजवंश के पूर्वज रेगिस्तान पर शासन करते थे, उन्हीं दिनों में भाटी लोग उत्तर से यहाँ पर आये थे। उनके आने के बाद का उल्लेख ग्रन्थों में कुछ नहीं मिलता। इस दशा में फरिश्ता और अवुल फजल ने जो कुछ लिखा है, उसका हमें आधार लेना पड़ता है। अबुल फजल ने लिखा है- "प्राचीनकाल में सेहरीस नामक नरेश आरोर में राज्य करता था। उसके राज्य का विस्तार उत्तर में काश्मीर, पश्चिम में तेहरान और दक्षिण में समुद्र तक था। ईरानी फौज ने इस राज्य पर आक्रमण किया था। उस युद्ध में आरोर का राजा मारा गया और ईरानी फौज लूटमार करने के बाद वापस चली गयी। आरोर के राजा के मारे जाने पर रायसा अथवा सोढा वहाँ के राज सिंहासन पर बैठा। इस वंश के लोग वलीद के खलीफा के समय तक वहाँ पर शासन करते रहे। उन्हीं दिनों में ईराक के गवर्नर होजोज ने सन् 717 ईसवी में मोहम्मद विन कासिम को रवाना किया। उसने हिन्दू राजा दाहिर को पराजित किया। दाहिर उस युद्ध में मारा गया। इसके पश्चात् अनसेरी का वंश वहाँ पर राज्य करता रहा। उसके पश्चात् सुमरा वंश का शासन चला और आखिर मे समावंश के लोगों ने वहाँ पर शासन किया। उन लोगों ने अपने आपको जमशेद का वंशज कह कर जाम की उपाधि प्राप्त की।" इसी प्रकार का वर्णन करते हुए फरिश्ता ने लिखा है- "मुहम्मद विन कासिम के मर जाने के बाद अनसेरी वंश के लोगों ने सिन्ध में अपना राज्य कायम किया। उसके पश्चात् जमींदारों ने उस राज्य को छीनकर अपने अधिकार में कर लिया और पाँच सौ वर्षों तक वे लोग शासन करते रहे। सुमरा लोगों ने सुमना वंश के राज्य को नष्ट कर दिया। सुमना लोगों के सरदार की पदवी जाम थी। अबुल फजल ने इस वंश का नाम सुम के स्थान पर समा लिखा है। साहना वंश की उत्पत्ति अनैतिक मानी जाती है। उस वंश के लोग सिन्ध में वेखर और तत्ता के बीच में रहा करते थे। वे लोग अपने आपको जमशेद का वंशज कहते हैं। खोज करने के वाद मालूम होता है कि सुमना, सेमना और सामा एक ही वंश का नाम है और वह वास्तव में 79