पृष्ठ:राजस्थान का इतिहास भाग 1.djvu/२९५

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अम्बा जी ने मेवाड़ में रहकर आठ वर्ष व्यतीत किये। इन दिनों में उसने राज्य की सम्पत्ति को चूसकर बारह लाख रुपये अपने अधिकार में कर लिए। चूंडावतों के शान्त हो जाने से राज्य के समस्त उपद्रव खत्म हो गये। मेवाड़ राज्य के प्रबन्ध में सिंधिया ने निम्नलिखित कई आदेश अम्बाजी को दिये थे- (1) विद्रोही रत्नसिंह ने कमलमीर में अधिकार कर रखा है, उसको वहाँ से निकाल दिया जाये। (2) मारवाड़ के राजा से गोडवाड़ (गोद्वार) लेकर मेवाड़ में मिला लिया जाये। (3) विद्रोहियों और सिंधी सेना ने राज्य के जिन इलाकों पर कब्जा कर रखा है, उनको उनसे छीन लिया जाये और समस्त अधिकार राणा को दिए जाये। (4) बूंदी के राजकुमार के द्वारा अरिसिंह का वध होने के कारण जो झगड़ा पैदा हुआ है, उसका अन्त किया जाये, सिंधिया को जो बीस लाख रुपये दिये गये थे, वे इस प्रकार वसूल किये गये चूण्डावतों की जागीर से बारह लाख रुपये और शक्तावतों से शेष आठ लाख रुपये। इस प्रकार उन बीस लाख रुपयों की पूर्ति हुई । राणा ने अम्बाजी से वादा किया था कि राज्य के सभी कार्य हो जाने पर सेना के खर्च के साथ-साथ साठ लाख रुपये राज्य की तरफ से अम्बाजी को अधिक दिये जायेंगे। इस निर्णय के अनुसार दो वर्ष के भीतर कमलमीर से रत्नसिंह को निकाल दिया गया। विद्रोही चूंण्डावत सरदार से जिहाजपुर और अन्य सरदारों से उनके इलाके छीनकर राणा के अधिकार में दे दिये गये।1 मेवाड़-राज्य के कार्यों के सम्बन्ध में अम्बाजी और राणा के बीच जो कुछ निर्णय हुआ था, उसके अनुसार अम्बा जी ने कुछ कार्य किया। लेकिन राज्य की कई एक समस्यायें अभी तक ज्यों-की-त्यों बनी हुई थीं। गोडवाड़ का इलाका अभी तक मारवाड़-राज्य में शामिल था, बूंदी और मेवाड़ का झगड़ा ज्यों-का-त्यों था और मराठों ने जिन स्थानों पर अधिकार कर लिया था, उनका भी अभी तक कोई निर्णय न हुआ था। इस प्रकार के कितने ही काम बाकी थे। अम्बाजी ने मेवाड़ राज्य के सूबेदार होने की घोषणा कर दी थी। राज्य के सभी प्रबन्ध अम्बाजी के अनुसार हो रहे थे। चूँण्डावत लोगों को राज्य के दरबार में पुराने अधिकार प्राप्त हो गये थे। इसलिए मंत्री शिवदास और सतीदास को उनसे भय पैदा हो गया। उनके भाई मंत्री सोमजी का जिस प्रकार वध किया था, उसकी स्मृति उनको दिन-रात भयभीत कर रही थी। धीरे-धीरे उन दोनों को इस बात का विश्वास होने लगा कि चूंडावत लोग हम दोनों के प्राण लेने की चेष्टा कर रहे हैं। दोनों मंत्रियों ने अपनी रक्षा का कोई उपाय न देखकर अम्बाजी से प्रार्थना की कि मेवाड़ में विशेष प्रबंध करने के लिए एक सेना की आवश्यकता है। मंत्रियों ने इस आवश्यकता को भली प्रकार समझाया, जिसको अम्बाजी ने स्वीकार कर लिया और जो सेना मंत्रियों की प्रार्थना के अनुसार रखी गयी, उसके खर्च के लिए आठ लाख रुपये वार्षिक आमदनी की जागीरें दी गयी। राणा अपने राज्य में नाम के लिए राजा था। कुल अधिकार अम्बाजी के हाथों में थे। राज्य की आर्थिक अवस्था इन दिनों में बहुत खराब हो गयी थी। सम्वत् 1851 में राणा ने जयपुर के राजकुमार के साथ अपनी बहन का विवाह किया। उसके खर्च के लिए 1. चन्दावतों से जो बारह लाख रुपये वसूल किये गये, उनके विवरण इस प्रकार हैं-तीन लाख रुपये सलुम्बर से, तीन लाख रुपये देवगढ़ से, दो लाख रुपये सिंगिनगढ़ के मंत्रियों से, कोशीतल से एक लाख, आमेट से दो लाख, कोरावड़ से एक लाख । इस प्रकार बारह लाख रुपये वसूल किये गये। , 1 295