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राजा और प्रजा।
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वर्गों, भिन्न भिन्न चित्रों और भिन्न भिन्न अक्षरोंमें देश-विदेशोंमें किस प्रकार अपनी घोषणा करती हैं। अब हम लोग भी निर्लज्ज होकर और उन्हींमें मिलकर इस प्रकारकी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं! विलायतमें जिस प्रकार राजनीतिक क्षेत्रमें झूठे बजट तैयार किए जाते हैं, प्रश्नोंके जिस प्रकार चतुराईसे गढ़े हुए और दूसरोंको धोखेमें डालनेवाले उत्तर दिए जाते हैं और अभियोग चलाकर एक पक्षपर दूसरे पक्षवाले जो सब दोषारोपण करते हैं, वे सब यदि मिथ्या हों तब तो लज्जाका विषय है और यदि वे मिथ्या न हों तो इसमें सन्देह नहीं कि वे शंकाजनक अवश्य हैं। वहाँकी पार्लिमेन्टसंगत भापामें और कभी कभी उसका उल्लंघन करके भी बड़े बड़े लोगोंको झूठा, धोखेबाज और सच्ची बातको छिपानेवाला कह दिया जाता है। या तो इस निन्दावादको अत्युक्तिपरायणता कहना होगा और नहीं तो यह कहना पड़ेगा कि इंग्लैण्डकी राजनीति झूठसे बिलकुल जीर्ण है।

जो हो, इस आलोचनासे यह बात मनमें आती है कि अत्युक्तिको स्पष्ट अत्युक्तिके रूपमें रखना ही अच्छा है। उसे कौशलसे काट-छाँटकर वास्तवके दलमें मिलानेकी चेष्टा करना अच्छा नहीं है-उसमें बहुत अधिक विपत्तियाँ हैं।