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पृष्ठ:राजा और प्रजा.pdf/१३०

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इम्पीरियलिज्म।
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रूपसे समझते हैं कि मानवी विषयोंके वादानुवादमें न्यायका प्रश्न वहीं आता है जहाँ कि आवश्यकताका ओर बराबर होता है। और हम लोग यह भी जानते हैं कि शक्तिशाली मनुष्य जो कुछ वसूल कर सकता है वह वसूल कर लेता है और दुर्बलको जो कुछ देना चाहिए वहीं वह दे देता है। x x x x x और अब हम लोग यह सिद्ध करनेका प्रयत्न करेंगे कि हम लोग अपने साम्राज्यके हितोंकी रक्षा करनेके लिये आए हैं और जो कुछ अभी कहना चाहते हैं उसमें हमारा उद्देश्य केवल यही है कि आपके नगरकी रक्षा हो। क्योंकि हम लोग अपने आपको यथासंभव बहुत ही कम कष्ट पहुँचाए हुए, आप लोगोंको अपना बनाना चाहते हैं और इसमें आपका और हमारा दोनोंका हित है कि आपका नाश न हो।)

Mel. It may be your interest to be our masters, but how can it be ours to be your slaves?

(मेल॰―यदि आप हमारे स्वामी बन जायँ तो इसमें आपका तो हित हो सकता है, परन्तु यदि हम आपके गुलाम बन जायँ तो इसमें हमारा हित कैसे हो सकता है?)

Ath. To you the gain will be that by submission you will avert the worst; and we shall be all the richer for your preservation.

(एथी॰―यदि आप हमारी बात मानकर आत्मसमर्पण कर देंगे तो इससे आपका तो यह लाभ होगा कि आप बहुत सी दुर्दशाओं में बच जायँगे और हमारा यह लाभ होगा कि आपकी रक्षा करनेके लिये हम और अधिक सम्पन्न हो जायँगे।)