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पृष्ठ:राजा और प्रजा.pdf/१७६

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पथ और पाथेय।
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अधिकारोंमें बलपूर्वक हस्तक्षेप करनेको अन्याय समझनेका अभ्यास यदि देशसे चला जाय, तो असम्भवको किसी सीमामें बाँध रखना अस- म्भव हो जायगा। जब कर्त्तव्यके नामसे अकर्तव्यकी प्रबलता होती है तब देखते देखते ही समस्त देश अप्रकृतिस्थ हो जाता है । इससे स्वाधीनताकी दुहाई देते हुए हम वास्तविक स्वाधीनता धर्मके साथ विद्रोह कर रहे हैं। देशमें जो मतकी अनेकता और इच्छाकी विष- मता है उसे लहकी सहायतासे एकाकार कर देनेको कर्तव्य समझनेवाली दुर्बुद्धि हममें उत्पन्न हो गई है। हम जो कहते और करते हैं दूसरोंको भी वही कहने और करनेके लिये बाध्य करके देशके समस्त मत, इच्छा और आचरणके विरोधको अपघात मृत्युद्वारा पञ्चत्व लाभ करा देनेहीको हम जातीय एकता निश्चित कर बैठे हैं। मतान्तरको हम समाजमें पीड़ा पहुँचाते हैं, समाचारपत्रोंमें उसको अत्यन्त तीखी गालियाँ सुनाते हैं, यहाँतक कि उसपर अपने मतकी सत्ता स्थापित करनेके लिये शारीरिक चोट पहुँचानेकी धमकी देने तकसे बाज नहीं आते । आप अच्छी तरह जानते हैं और हम और भी अच्छी तरह जानते हैं कि ऐसी गुमनाम धमकियों देनेवालोंकी संख्या उँगलियोंपर नहीं गिनी जा सकती । देशके विज्ञ और प्रतिष्ठित पुरुषतक इस अपमानसे नहीं बचे हैं । संसारके अनेक महापुरुषोंने विरुद्ध सम्प्रदायमें अपना मत प्रचार करनेके लिये अपने प्राणतक विसर्जन कर दिए हैं; हम भी मत प्रचार करना चाहते हैं--दूसरोंको अपने अनुकूल करना चाहते हैं, पर और सभी दृष्टान्तोंको एक ओर रखकर हमने केवल कालापहाड़ हीको * गुरु चुन लिया है।


  • यह बंगालके प्रथम मुसलमान नवाब सुलेमान करआनीका सेनापति था ।

इसने आसाम उड़ीसा और काशीके बीचके प्रदेश में ढूँढ ढूंढकर मूर्तियों और