राजनीतिके दो रुख।
साधारणत: न्यायपरता दया आदि अनेक बड़े बड़े गुणोंका जितना अधिक विकास अपनी बराबरीके लोगोंमें होता है उतना अधिक विकास असमान लोगोंके बीचमें नहीं होता । यह बात प्रायः देखी जाती है कि जो लोग अपनी बराबरी वालोंमें घरमें पले हुए हिरणके बच्चेकी तरह कोमल स्वभाववाले होते हैं, वे ही लोग छोटी श्रेणीवालोंके लिये जंगलके वाग, पानीके मगर अथवा आकाशके श्येन- पक्षीकी तरह होते हैं।
अबतक इस बातके अनेक प्रमाण पाए गए हैं कि युरोपकी जातियाँ युरोपमें जितनी सभ्य, जितनी सदय और जितनी न्यायपरायण होती हैं उतनी युरोपसे बाहर निकलनेपर नहीं रह जाती। जो लोग ईसाइयोंके सामने ईसाइयोंकी ही तरह रहते हैं, अर्थात् जो एक गालपर थप्पड़ खाकर समय पड़नेपर दूसरा गाल भी उसके सामने कर देनेके लिये बाध्य होते हैं वे ही लोग दूसरे स्थानोंमें जाकर ईसाइयोंसे भिन्न दूसरी जाति के लोगोंके एक गालपर थप्पड़ मारकर उसे दूसरा गाल भी अपने सामने कर देनेके लिये कहते हैं और यदि ईसाईसे भिन्न जातिका वह मनुष्य अपनी मूर्खताके कारण उनका उक्त अनुरोध पालन कर- नेमें कुछ आगा पीछा करता है तो वे ईसाई तुरन्त ही उसका कान पकड़कर घरसे बाहर निकाल देते हैं और उसके घरमें अपना टेबुल, कुरसी और पलंग ला रखते हैं; उसके खेतमेंसे फसल काट लेते हैं, उसकी सोनेकी खानमेंसे सोना निकाल लेते हैं, उसकी गौओंका दूध दुह लेते हैं और उसके बछड़ोंको काटकर अपने बावर्चीखानेमें भेज देते हैं।