दो एक जबरदस्तियाँ पकड़ी जायँ तो उसके लिये समाचारपत्रों में इतने
जोरोंसे पश्चात्ताप करने क्यों बैठे ?
लेकिन बाल्यावस्थामें जो बात अच्छी मालूम होती है बड़े होनेपर वह बात अच्छी नहीं मालूम होती। कोई एक दुष्ट लालची बालक अपनेसे किसी छोटे और दुर्बल बालकके हाथमें मिठाई देखकर जबर- दस्ती उससे छीन लेता है और क्षणभरमें ही अपने मुँहमें रख लेता है। उस असहाय बालकको रोते हुए देखकर भी उसके मनमें जरा भी पछ- तावा नहीं होता बल्कि यहाँतक कि वह उस दुर्बल बालकके गालपर एक तमाचा लगाकर जबरदस्ती उसका रोना बन्द करनेकी चेष्टी करता है और उसे देखकर दूसरे बालक भी मन ही मन उसके बाहुबल और दृढ़संकल्पकी प्रशंसा करते हैं।
यदि उस बलवान् बालकको बड़े होनेपर भी लोभ रह जाता है तो फिर वह थप्पड़ मारकर दूसरेकी मिठाई नहीं छीनता बल्कि छल करके उससे ले लेता है और यदि वह पकड़ा जाय तो कुछ लज्जित और अप्रतिभ भी होता है । उस समय वह अपने परिचित पड़ोसीपर हाथ साफ करनेका साहस नहीं करता । अपने गाँवसे दूरके किसी दरिद्र गाँवकी असभ्य माताके नंगे बालकके हाथमें जब वह एक समयका एक मात्र खाद्य पदार्थ देखता है, तब वह चारों ओर देखकर चुपचाप झपटकर उस पदार्थको ले लेता है और जब वह बच्चा जोर जोरसे चिल्लाने लगता है तब वह अपनी जातिके आनेजानेवाले पथिकोंसे आँखका इशारा करके कहता है कि इस असभ्य काले बालकको मैंने अच्छी तरह दंड देकर ठीक कर दिया है ! लेकिन वह यह नहीं स्वीकार करता कि मुझे भूख लगी थी इस लिये मैंने उसके हाथका भोजन छीनकर खा लिया है।
रा०४