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राजा और प्रजा।
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रुद्रमूर्ति धारण की। उन्होंने नगरके तेरह भले आदमी हिन्दुओंको जेल भेज दिया।

हाकिम बहुत जबरदस्त हैं, कानून बहुत कठिन है, और शासन बहुत कड़ा है, लेकिन इसमें सन्देह है कि इन सब बातोंसे स्थायी शान्ति हो सकती है या नहीं। जिस स्थानपर विरोध नहीं होता उस स्थानपर ऐसी बातोंसे विरोध उठ खड़ा होता है, जहाँ विद्वेषका बीज भी नहीं होता वहाँ विद्वेषके अंकुर और पल्लव निकल आते हैं। प्रबल प्रतापसे यदि शान्ति स्थापित करनेका प्रयत्न किया जाय तो उससे अशान्ति उठ खड़ी होती है।

यह बात सभी लोग जानते हैं कि बहुतसी असभ्य जातियोंमें और किसी प्रकारकी चिकित्सा नहीं होती केवल भूतों और प्रेतोंकी झाड़फूँक होती है। वे लोग गरज गरजकर नाचते हैं और रोगीको धरपकड़कर प्रलय उपस्थित कर देते हैं। यदि अँगरेज लोग हिन्दुओं और मुसलमानोंके विरोधरूपी रोगकी उसी आदिम प्रणालीसे चिकित्सा करना आरम्भ कर दें तो उससे रोगीकी मृत्युतक हो सकती है, परन्तु रोगके शमनकी कोई सम्भावना नहीं हो सकती। और फिर ओझा लोग जिस भूतको झाड़कर उतार लाते हैं उस भूतको: शान्त करना बहुत कठिन हो जाता है।

बहुतसे हिन्दुओंका यह विश्वास है कि सरकारका आन्तरिक अभिप्राय यह नहीं है कि विरोध मिटा दिया जाय। सरकार केवल इसी लिये दोनों सम्प्रदायोंमें धार्मिक विद्वेष बनाए रखना चाहती है कि जिसमें पीछेसे कांग्रेस आदिकी चेष्टासे हिन्दू और मुसलमान क्रमशः एकताके मार्गमें आगे न बढ़ने लग जायँ और वह मुसलमानों के द्वारा