हिन्दुओंका अभिमान तोड़कर मुसलमानोंको सन्तुष्ट और हिन्दुओंको दबाए रखना चाहती है।
लेकिन लार्ड लैन्सडाउनसे लेकर लार्ड हैरिस तक सभी लोग कहते हैं कि जो व्यक्ति ऐसी बात मुँहपर लावे वह पाखण्डी और झूठा है। अँगरेज सरकार हिन्दुओंकी अपेक्षा मुसलमानोंके प्रति अधिक पक्षपात प्रकट करती है इस अपवादको भी वे लोग बिलकुल निर्मूल बतलाते और इसका तिरस्कार करते हैं।
हम भी उन लोगोंकी बातोंका अविश्वास नहीं करते। कांग्रेसके प्रति सरकारकी गहरी प्रीति न हो और यह भी पूर्ण रूपसे सम्भव है कि उन लोगोंकी यह भी इच्छा हो कि मुसलमान लोग हिन्दुओंके साथ मिलकर कांग्रेसको बलवान् न कर दें, लेकिन फिर भी राज्यके दो प्रधान सम्प्रदायोंकी अनेकताको विरोधमें परिणत कर देना किसी परिणामदर्शी और विवेचक सरकारका अभिप्राय नहीं हो सकता। अनेकता बनी रहे, अच्छी बात है, लेकिन सरकारके सुशासनमें उसे शान्तमूर्ति धारण करके रहना चाहिए। सरकारके मनमें इस अभिप्रायका होना भी असम्भव नहीं है कि जिस प्रकार हमारे बारूदखाने में बारूद शीतल होकर पड़ी रहती है और फिर भी उसकी दाहक शक्ति नष्ट नहीं हो जाती, हमारी राजनैतिक शस्त्रशालामें हिन्दुओं और मुसलमानोंका आन्तरिक असद्भाव भी उसी प्रकार शीतल भावसे रक्षित रहना चाहिए।
इसी लिये हमारी सरकार हिन्दुओं और मुसलमानोंके गाली-गलौजका दृश्य देखनेके लिये भी व्याकुलता नहीं प्रकट करती और मारपीटके दृश्यको भी सुशासनके लिये हानिकारक समझकर उससे विरक्त रहती है।