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क्रूसो और फ़्राइडे


मैंने आपका क्या अपराध किया है? आप इस दास पर क्यों इतने नाराज़ हैं?

मैं-असन्तुष्ट क्यों हूँगा? तुम देश जाना चाहते हो, उसी का प्रबन्ध करता हूँ।

फ़्राइडे-मैं आपको छोड़ कर अकेला जाना नहीं चाहता।

मैं-वहाँ जाकर मैं क्या करूँगा?

फ़्राइडे-आप क्या नहीं करेंगे? आप मेरे देश का बहुत कुछ उपकार कर सकेंगे। धर्म कर्म और ज्ञान का उपदेश दे कर मेरे देश के मनुष्यों को वास्तविक मनुष्य कहलाने योग्य बनावेंगे।

मैं-हाँ! तुम नहीं जानते कि मैं कितना बड़ा नीच, अयोग्य और अधार्मिक हूँ। मैं न जाऊँगा, तुम अकेले जाओ।

फ़्राइडे ने झट एक कुल्हाड़ी उठा कर मेरे हाथ में दी और कहा-"लो साहब, मुझे निर्वासित करने के बदले एकदम मार ही डालो। इसमें तुम्हारी बड़ी दया होगी।" आँसू भरी आँखों से मेरी ओर देख कर ऐसे दीनभाव से उसने कोमल वचन कहे कि मैं मुग्ध हो गया।

द्वीप में डोंगियों की तो कुछ बात ही नहीं, बड़े बड़े जहाज़ बनने के उपयुक्त बहुत से दरख्त थे, किन्तु हमें तो डोंगी के योग्य एक ऐसा पेड़ चाहिए जो पानी के समीप हो।

इतना सुभीता मिलना कठिन था। फ़्राइडे ने बहुत खोज कर एक ऐसा पेड़ ढूँढ़ लिया। उसने पेड़ की जड़ को आग से जला कर खोखली करने का प्रस्ताव किया तो मैंने उसको लोहे के हथियार की उपयोगिता दिखला दी। उसने शीघ्र