पृष्ठ:राबिन्सन-क्रूसो.djvu/२१५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१९४
राबिन्सन क्रूसो।


की ओर घूमकर देखा, उसको पिता देख न पड़े। वह फ़ौरन उठकर खड़ा हुआ और किसी से कुछ कहे बिना ही एक ही दौड़ में बूढ़े के पास जा पहुँचा। वह ऐसे ज़ोर से दौड़ कर गया था कि उसके पैर मानो धरती पर पड़ते ही न थे। उसने जाकर देखा, उसके वृद्ध पिता आराम करने की इच्छा से सो रहे हैं। तब फिर वह हमारे पास लौट आया। मैंने उससे कहा-"स्पेनियर्ड को उठा कर नाव पर रख आओ। इसको घर ले जाना होगा।" फ़्राइडे खूब बलिष्ठ था, वह स्पेनियर्ड को पीठ पर लादकर नाव पर रख आया। इसके बाद वह ऐसी शीघ्रता से नाव को खेकर ले चला कि मैं किनारे किनारे उसके साथ बराबर नहीं जा सकता था। उसने बिना किसी विघ्न-बाधा के नाव को खाड़ी में ले जाकर झट उस पर से उतर कर फिर वायुवेग से दौड़ लगाई। वह मेरे पास से दौड़ा हुआ जा रहा था। मैंने पूछा-"कहाँ जा रहे हो?" उसने कहा-"दूसरी डोंगी भी लाता हूँ।" प्रश्न-उत्तर समाप्त होते न होते वह दृष्टि-पथ से निकल गया। ऐसा विचित्र दौड़ना मनुष्यों की तो कुछ बात ही नहीं, मैंने घोड़ों में भी प्रायः कम देखा होगा। मैं पैदल चल कर अभी खाड़ी तक पहुँचा भी नहीं कि उसने दूसरी डोंगी भी लाकर हाज़िर कर दी। उसने मुझे पार उतार कर उन दोनों अभ्यागतों को भी पार उतारा। वे दोनों अतिथि चलने में असमर्थ थे। मैं इन दोनों को घर तक ले चलने का उपाय सोचने लगा। झटपट एक खटोली सी तैयार करके उस पर उन दोनों को लिटा कर फ़्राइडे और मैं उठा कर घर ले आया।