पृष्ठ:राबिन्सन-क्रूसो.djvu/२३५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२१४
राबिन्सन क्रूसो।

उन लोगों से इस प्रकार बात-चीत कर के कप्तान मेरे पास आया। मैंने उससे जहाज़ दखल करने की बात कही। बन्दियों को दो भागों में बाँट कर जो बदमाश थे उन्हें गुफा के भीतर और जो अल्प-अपराधी थे उन्हें कुञ्जभवन में बन्द कर दिया।

इस विचित्र स्थान में सारी रात कैद रह कर उन लोगों ने यथेष्ट शिक्षा पाई। सबेरे जब कप्तान उन लोगों के पास गया तब वे धरती में गिर कर क्षमा प्रार्थना करने लगे और सेनापति से सिफारिश करने के लिए हाथ जोड़ने लगे। कप्तान ने कहा, "यदि तुम लोग जहाज़ पर दख़ल करने में मदद दोगे तो सेनापति तुम्हारा अपराध क्षमा कर सकते हैं"। इस प्रस्ताव पर वे लोग बड़े आग्रह के साथ सम्मत हुए। तब उनमें जो पाँच व्यक्ति अच्छे थे वे चुन लिये गये और अवशिष्ट व्यक्ति उन लोगों के जामिन-स्वरूप कैदी बना कर रख लिये गये। यदि वे लोग जहाज पर दखल होने में सहायता देंगे तो कैदी छोड़ दिये जायँगे, नहीं तो फाँसी दी जायगी। तब उन लोगों ने समझा कि सेनापति कोई साधारण व्यक्ति नहीं है; वे लोग डरते डरते इस प्रस्ताव पर राजी हो गये।

मैंने कप्तान से कहा, "हम और फ्राइडे जहाज़ पर दखल करने न जायँगे; हम लोग कैदियों के पहरे पर रहेंगे। क्या तुम और सब लोगों को साथ ले जहाज पर आक्रमण करने का साहस कर सकते हो?" कप्तान राजी हो कर युद्धयात्रा की तैयारी करने लगा। फूटी हुई नाव की मरम्मत कर के दो नावें जाने के लिए ठीक की गईं। एक में जहाज के यात्री और चार मनुष्य, दूसरी नाव में कप्तान, मेट और पाँच नाविक सवार हुए। वे लोग आधी रात के समय जहाज़ पर जा