पृष्ठ:रामचरितमानस.pdf/११

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

... ... ... ... ... ( संख्या कथा-प्रसंग पृष्ठ २६ रामचन्द्र, भरत, लक्ष्मण और शत्रुहन का विवाह ३१५ २७ जनकपुर से पारात का प्रस्थान, अयोध्यापुरी में प्रवेश, लोकरीति और माताओ पुरवासियों का लोकोत्तर आनन्द' वर्णन ३४५ २० विश्वामित्र का स्वस्थान की यात्रा वर्णन ३६२ (अयोध्या काण्ड) .१ रामचन्द्रजी के राज्याभिषेक की तैयारी, शेषताओं की घबराहट और राज्य रसभंग करने के लिये सरस्वती से प्रार्थना २ केकयी मन्थरा सम्बाद और केकयी का कोपभवन में जाना ३७8 ३ राजा दशरथ का केकयी के समीप गमन, उसको इच्छानुकूल वर देने के लिये वचन- बद्ध होना ... ... ... ४०५ ... ... ... ... ... ४४० ४ केकयी का वर मांगना और राजा का विलाप वर्णम ३६५ ५ सुमंत्र द्वारा रामचन्द्रजी का बुलाया जाना, केकयी ले सम्भाषण, माता कौशल्या के पास बिदा होने के लिये जाना और सीताराम सम्बाद तथा साथ चलने के लिये लक्ष्मण की प्रार्थना ६ पिता-माता, गुरु वशिष्ठ और पुरवासियों से विदा हो, राम जानकी और लक्ष्मण का वनगमन वर्णन ७ राजा दशरथ की प्रेरणा से सुमंत्र का रथ लेकर रामचन्द्रजी के साथ जाना, शृंगवेरपुर निवास, निषाद की सेवा और लक्ष्मण निषाद सम्वाद तथा सुमंत्र को अयोध्या में लौट जाने का आदेश केवट का प्रेम और पाँव धोकर पार ले जाना, त्रिवेणी स्नान तथा भरद्वाज मिलन ४६६ यमुनातरण, मार्गवसेरियों का प्रेम, पास्मीकि मिलन और ललित सम्बाद वर्णन ७६ १० चित्रकूट निघास, देवताओं की प्रसस्ता और कोल भिल्लादि की सेवा तथा स्वाद वर्णन ४६ ११ सुमंत्र का शृङ्गवेरपुर से अयोध्या को प्रस्थान, राजा दशरथ से वनयात्रा का समाचार निवेदन और पुत्र वियोग से राजा का तनत्यांग होना तथा रनिवास पुरवासियों का विलाप वर्णन पू०७ १९ गुरु वशिष्ठ की प्रेरणा से भरत के पास दूत जाना ननिहाल से भरत शत्रुहन का अयोध्या में आना और माता केकयी की कुटिल करमी से राम वनगमन तथा राजा की मृत्यु पर शोक सन्तप्त होना १३ कौशल्या-भरत सम्वाद, शपथ पूर्वक भरत का दुःख प्रकाश, शवदाह, अन्त्येष्टि क्रिया ५२० करके भरत का शुद्ध होना १४ गुरु, मंत्री, माता और पुरवासियों का भरत को राज्यासन पर विराजने की अनुमति ५२६ प्रदान तथा राज्य अस्वीकार करके भरतजी का रामचन्द्रजी को लौटाने के लिये समाज के सहित चित्रकूट गमन ५२४ ... ... ...