पृष्ठ:रामचरितमानस.pdf/१२३३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

३ मानस पिङ्गल । () बसन्ततिलका-वृत्त के लक्षण । 'वसन्ततिलका-वृत्त के चारों चरण चौदह चौदह अंतर के होते हैं। इसके प्रत्येक चरणा में तगण, भगण, दो जगण, और अन्त के दो वर्ण गुरुः रहते हैं। दो वृत्त रामचरित. मानस (बालकाण्ड १ सुन्दरकाण्ड में १) भर में आये हैं। उदाहरण। नाना पुराण निगमागम सम्मतं यद्रामायणे निगदित क्वचिदन्यतोपि । स्वान्तः सुखाय तुलसी रधुनाथ गाथा भाषा निवन्धमतिमञ्जुलमातनोति ॥१॥ (8) वंशस्थविलम्-वृत्त के लक्षण । वंशस्थविलम-वृत्त के चारों चरण बारह बारह अक्षर के होते हैं । इसके प्रत्येक चरणों में जगण, तगण, जगण, रगण रहता है । केवल अयोध्याकाण्ड में एक वृत्त इसका आया है, वही नीचे उदाहरण में दिखाया जाता है। उदाहरण.। प्रसन्नतां या न गताभिषे कतस्तथा न मम्ले वनबास दुःखतः। सुखाम्बुज श्रीरघुनन्दनस्यमे सदास्तु सा सन्जुल मङ्गल प्रदा ॥१॥. (१०) शार्दूलविक्रीड़ित-वृत्त के लक्षण । शार्दूलविक्रीड़ित-वृत्त के चारों चरण अठारह अठारह अक्षर के होते हैं। इसके प्रत्येक चरणों में मगण, सगण, जगण, सगण, दो तगण और अन्त में एक गुरु वर्ण रहता है। राम. चरितमास के साते काण्डों में १० वृत्त इसके आये हैं। उदाहरण। यन्मायावशवर्ति विश्वमखिलं ब्रह्मादि देवासुराः। यत्सत्वादमृषेवभातिसकल रज्जौयथाऽहेर्भमः। यत्पादप्लव एक स्वहि भवाम्भोधेस्तितीर्षावतां । बन्देऽहं तमशेषकारणपर रामाख्यमीश हरिम् ॥ १॥ (११) स्नग्धरा-वृत्त के लक्षण । स्नग्धरा-वृत्तके चारों चरण इक्कीस इक्कील अक्षर के होते हैं। इसके प्रत्येक चरण में भगण, रगण, भगण, नगण और तीन यगण रहते हैं । एक लक्षाकाण्ड में और एक उत्तरकाण्ड में केवल दो वृत्त इसके आये हैं। उदाहरण रामं कामारिसेव्यं भवभयहरणं कालमत्तभसिंह। योगीन्द्रं ज्ञानगम्यं गुणनिधिमजितं निर्गुणं निर्विकारम् ॥ मायातीत सुरेशं खलबधनिरतं ब्रह्मवृन्दैक देव। वन्दे कन्दावदातं सरसिजनयनं देवमुर्वीशरूपम् ॥१॥