पृष्ठ:रामचरितमानस.pdf/१४

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... ८४० स ... ... ... ... &05 संख्या कथा-प्रसङ्ग ११ रावण-शुकसम्बाद, रावण द्वारा शुक का तिरस्कार और रामदर्शन से उसका शापमोक्ष १२ समुद्र की धृष्टता पर रामचन्द्र का क्रोध, समुद्र की घबराहट और प्रार्थना तथा सेतु बनाने की सम्मति प्रदान करना ८४६ (लंकाकाण्ड) १ सेतुषन्ध, शिवस्थापन और रामेश्वर की महिमा वर्णन ५२ २ ससैन्य समुद्र पार होना, सुबेल पर्वत पर निवास और रावण की व्याकुलता तथा रावण मन्दोदरी सम्वाद syy ३ प्रहस्त रावण सम्बाद, रामचन्द्र का चन्द्रमा की झाई पर प्रश्नोत्तर और सहश्य बाण से मुकुट क्षत्रादि का विध्वंस वर्णन ४. मन्दोदरी का विराट रूप वर्णन कर रामचन्द्र से विरोध त्यागने का रावण को परामर्श देना, अंगद का दूत कार्य के लिये लका मे आना और रावण अंगद सम्पाद ५ रावण-मन्दोदरी सम्बाद और युद्धारम्भ महर ६. हनुमान अंगद द्वारा लंकादुर्गविध्वंस, राक्षसों का प्रदोष युद्ध और पराजय .माल्यवन्तं की शिक्षा और रावण का उस पर प्रकोप, मेघनाद युद्ध,माया को विस्तार तथा भालू बन्दरों की व्याकुलता ६०३ = लक्ष्मण-मेघनाद युद्ध और लक्ष्मण का शक्ति से अचेत होना ६ हनूमान का लंका से सुषेण वैद्य को ले जाना और संजीवनी के लिये प्रस्थान १० रावण का कालनेमि के घर आना, कपि को छल कर मार्ग रोकने के निमित भेजना, मकरी संहार और कालनेमि वध ११ हनूमान का पर्वत लिये अयोध्या के ऊपर शाना,भरत का बाण मारना और भरत हनूमान सम्वाद १२ रामचन्द्र का बन्धु की दशा पर विलाप, हनूमान श्रागमन और लक्ष्मण को सचेत होना ३१५ १३ रावण का कुम्भकर्ण को जगाना, कुम्भकर्ण युद्ध और उसका वध १४ मेघनाद का मायायुद्ध, नागपास में बंध जाना और जाम्बवान द्वारा मेघनाद का मूर्छित होना ६२६ १५ मेघनाद का निकुम्भिला में यशानुष्ठान, वानरों द्वारा यज्ञ नाश और लक्ष्मणजी के हाथ से मेघनाद का वध ६६२ १६ मन्दोदरी को विलाप, युद्ध के लिये रावण का प्रस्थान, राक्षस और वानर वीरों की मुठ- भेड़ तथा रामचन्द्रजी का विभीषण से विजयरथ का रूपक वर्णन ६३५ १७ रावण और बानर भालु भटों का भीषण संग्राम, रावण द्वारा लक्ष्मण को शक्ति लगना और हनूमान रावण का परस्पर मुष्टिप्रहार १८ रावण का विजय के लिये यहारम्भ, वानर वीरों द्वारा यक्ष विध्वंस और राम-रावण युद्ध ४५ १६ इन्द्र का मातलि के सहित रथ भेजना, रावण का विभीषण को शक्तिचलाना, रावस. विभीषण युद्ध, अंगद द्वारा रावण का पाहत होना, नल नील का सिर पर चढ़ माथ फाड़ना, जामवन्त का आक्रमण और रावण का मूर्छित होना ... ..1 ... ... &५० .."