पृष्ठ:रामचरितमानस.pdf/१८

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विद्वानों की सम्मतियाँ $ रामचरितमानस की टीका के सम्बन्ध में कतिपय प्रसिद्धहिन्दी अंगरेज़ी के समाचार पत्रों और विद्वानों की सम्मतियों का सार । "माज" दैनिक-काशी। टीका अच्छी हुई है और अपनी कुछ विशेषता भी रखती है। इसमें क्षेपक का नाम नहीं है। इस टीका की भाषा भी बहुत शुद्ध और वर्तमान हिन्दी है । अर्थ सरल रक्खा गया है, क्लिष्टकल्पना या आडम्बर से काम नहीं लिया गया है। अर्थ के साथ अलंकार दिया है जो कविता प्रेमियों और ऊँचे दर्जे के छात्रों के लिये अधिक उपयोगी है। सारांश यह सटीक रामचरितमानस प्रायः हर तरह से अच्छा है और संग्रह करने योग्य है। "भारतमित्र" दैनिक-कलकत्ता। रामचरितमानस के इस सरल अर्थ और टीका का बहुत सा अंश हम देख गये । हमारी सम्मति में यह टीका प्रामाणिक और बहुत उपयुक्त हुई है । टीकाकार ने इस टीका के लिखने में जो परिश्रम किया है वह पूर्ण सफल हुआ है और ऐसी सुन्दर टीका से रामायण के प्रेमियों का उपकार अवश्यम्भावी है। यह सर्वात सुन्दर प्रस्थ लेोकादर का पात्र और सर्वथा प्राय है। "विश्वमित्र" दैनिक कलकत्ता । टीका बहुत ही सरल और सुबोध भाषा में बड़ी उत्तमता से की गयी है। उसे पढ़ कर चित्त बड़ा प्रसन्न होता है । टीकाकार को अपने कार्य में पूर्ण सफलता प्राप्त हुई है। "लीडर" दैनिक-प्रयाग । इसमें मूल पाठ उत्तम, हस्तलिखित प्रतियों के मिलान से लिखा गया, क्षेपक रहित और शुद्ध है। इसकी टीका गध प्रचलित हिन्दी में इस प्रकार लिखी गयी है कि सामान्य पढ़े लिखे मनुष्य भी सहज में समझ सकते हैं। कथानकों के वर्णन तथा अन्यान्य टीका टिप्पणियों से इसकी उत्तमता और भी बढ़ गयी है। अन्त में रामायण के छन्दों का एक पिंगल और तुलसीदासजी की विस्तृत जीवनी विश्वस्त सूत्रों से अनुसन्धान करके लिखी गयी है । कुछ चित्रों ने पुस्तक का लौन्दर्य बढ़ा दिया है। यह पुस्स्तक हिन्दू समाज में श्रादर पाने के योग्यहै। . "हिन्दुस्तान रिव्यू' पटना । जहाँ तक हमलोग जानते हैं टीका बहुत सरल है। यह रामायण का संस्करण प्रकाशक के उद्योग को सम्मान प्रदान करनेवाला और खूब प्रचार के योग्य है। "सरस्वती पत्रिका प्रयाग। टीका की भाषा सरल है। मानस पिंगल इसकी एफ विशेषता है। रामायण के प्रेमियों के लिये यह भी संग्रह करने योग्य है।