पृष्ठ:रामचरितमानस.pdf/४६१

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। १०२ । सामचरित मानस । दो-भरम बचन सुनि राउ कह, कहु कछु दोष न तोर । लागेउ ताहि पिसाच जिमि, काल कहावत मेरि ॥३५॥ इस तरह भेद भरी कठोर बाते सुन कर राजा कहते हैं कि चाहे जो कह, इसमें तेरा कुछ दोष नहीं है। जैसे तुम को पिशोच लगा हो, वही मेरा कारख होकर कहलाता है ॥ ३५॥ कैकयी का सच्चा धर्म (कटु जलाना) इसलिए निषेध किया कि वह धर्म अपने काल बपी पिशाच में आरोपित करना अभीष्ट है । यह 'पर्यस्तापहति अलंकार' है। चौ०-चहत न भरत भूपतहि भारे । विधि-बस कुमति बसी उर तारे सो सब मार पाप-परिनाम् । भयउ कुठाहर जेहि विधि बाम ॥१॥ भरत तो भूल कर भी राज-पद् को नहीं चाहते, तो भी तेरे मन में वृद्धि होनहार के वश टिक गई है। वह सत्र मेरे पाप का फल है जिस से कुसमय में विधाता टेढ़े हुए है ॥१॥ सुबस बसिहि फिरि अवध सुहाई । सब गुन धाम राम प्रभुताई ॥ करिहहिं माइ सकल सेवकाई । होइहि तिहुँ पुर राम बड़ाई ॥२॥ फिर भी अयोध्या स्वतन्त्र रूप से सुन्दर वसेगी और सब गुणों के धाम रामचन्द्र राजा होगे । सव बन्धु-गण उनकी सेवा करेंगे और तीनो लोक में रामचना की घड़ाई होगी ॥२॥ भविष्य में होनेवाली बातों को प्रत्यक्ष वर्णन करने में 'भाविक अलंकार है। तोर कलङ्क मोर पछिताऊ । मुयेहु न मिटिहि न जाइहि काऊ ॥ अब तोहि नीक लाग करु खाई। लोचन ओट बैठु मुंह गाई ॥३॥ तेरा कलङ्कार मेरा पश्चाताप मरने पर भी न मिटेगा और न कभी संसार से जायगा। अब जो तुझे अच्छा वही कर, पर मेरी आँखों की आड़ में मुंह छिपा कर वैठ॥३॥ जब लगिजिअउँकहउँ करजोरी। तब लगि जनि कछु कहसि बहारी ॥ फिरि पछितैहसि अन्त अभागी। मारसि गाइ न हारू लागी ॥४॥ हाथ जोड़ कर कहता हूँ कि जब तक मैं जीता रहूँ, तब तक तू फिर कुछ मत कह । अरी अभागिनी ! गाय मारने में तुझे पीड़ा नहीं लगती है ? फिर अन्त में (विधवापन और कला लगने पर) पछतायगी ॥४॥ अपने दुहंट के लिए पछतायगी। इस साधारण पात को विशेष उदाहरण से पुष्ट करना कि गाय मारने में दुःख नहीं लगता, गोहत्या सिर आने पर जान पड़ेगा 'अर्थान्तरन्यास अलंकार' है। सभा की प्रति में नाहरुहि पाठ है और रामवस पाण्डेय ने नाहरू पाठ कर दिया है। उसी प्रकार तरह तरह के अर्थ भी गढ़े गये हैं। पर राजापुर की प्रति जो गोसांईजी के हाथ की लिस्त्री अब तक बसमान है, उसमें "नहा" पाठ है। उस प्रति में शन्द विन्यास नहीं है, इससे 'न' अक्षर मिला-कर उच्चारण करने से नहा एक शब्द हो सकता है । यपि उसे 'नदाक' मान लें तो इस तरह अर्थ होगा कि-"तू नहरुमा रोग के लिए गाय मारती है, पर