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सटीक रामचरितमानस अशोक वाटिका। त्रिजटा नाम राक्षसी एका । राम चरन-रति निपुन बिबेका ।। सबन्हीं बालि सुनायेसि सपना । सीतहि सेइ करहु हित अपना ॥ बेलवेडियरं प्रेस, प्रयाग। पृष्ठ ७६५
सटीक रामचरितमानस अशोक वाटिका। त्रिजटा नाम राक्षसी एका । राम चरन-रति निपुन बिबेका ।। सबन्हीं बालि सुनायेसि सपना । सीतहि सेइ करहु हित अपना ॥ बेलवेडियरं प्रेस, प्रयाग। पृष्ठ ७६५