पृष्ठ:रामचरितमानस.pdf/८९०

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पजम सोपान, सुन्दरकाण्ड । ११० नाथ पनन-तुत कोन्हि जो करनी । सहसहु मुख न जाइ सो बरनी ॥ पवन-तनय के चरित सुहाये। जामवन्त रघुपतिहि सुनाये ॥३॥ हे नाथ! पवनकुमार ने जो करनी की है, वह हज़ारों मुख से भी नहीं कही जा सकती। पायुनन्दन के सुहावने परित्र का जापवान् ने रघुनाथजी से कह सुनाये ॥३॥ सुनत कृपानिधि मन अति आये । पुनि हनुमान हरषि हिय लाये। कहहु ताल केहि जाँति जानको । रहति करति रच्छा स्व मान की ॥४॥ सुनपर कृपानिधान रामचन्द्रजी के मन में हनूमानजी घदुत प्रिय लगे, प्रसन्न होकर फिर से उन्हें दृदय से लगा लिये। पूछने लगे कि हे तात ! कहो, जानकी किस तरह वहाँ रहती हैं बार अपने प्राणों की रक्षा करती हैं ॥४॥ दो-नाम पाहरू दिवस निसि, ध्यान तुम्हार कपाट । लोचन निज पद जन्धित, जाहिँ प्रान केहि बाट ॥३०॥ (हनूमानजी ने कहा-स्वामिन् ! जानकीजी की प्राणरक्षा के लिये श्राप का नाम दिन रात पहरेदार है और आप के रूप का ध्यान किवाड़ है। अपने पाँवों की ओर नेत्रों का लगना ताला रूप है, ऐसी दशा में प्राण किस रास्ते से जा सकते हैं ॥३०॥ जानकीजी के शरीर से प्राण न निकल सकने का समर्थन हनुमानजी ने कैसी हेतुपूर्ण मनोहर उत्रियों से किया, यह 'काव्यलिश अलंकार है। नाम पर पाहरू का, ध्यान पर किवाड़ का और नेनो पर ताले को धारोपण किया गया है। गुटका में नाम पाहरू राति दिन' पाठ है। चौ०-चलत माहि चूडामनि दीन्ही । रघुपति हृदय लाइ सोइ. लीन्ही॥ नाथ जुगल लोचन भरि बारी। बचन कहे कछु जनक-कुमारी॥१॥ चलते समय मुझे चूड़ामणि दी है। इसको लेकर रधुनाथजी ने हदय से लगा लिया। हनुमानजी ने कहा-हे नाथ ! दोनों आँखों में आँसू भर कर जनकनन्दिनी ने कुछ वचन - कहे हैं ॥१॥ अनुज समेत गहेहु प्रानु चरना । दीनबन्धु प्रनतारति हरना ।। मन क्रम बचन चरन अनुरागा । केहि अपराध नाथ हैं त्यागी ॥२॥ छोटे भाई लक्ष्मण के सहित स्वामी के चरणों को पकड़ कर कहना कि हे दीनबन्धु, शरणागतों के दुःख हरनेवाले, नाथ ! मैं मन, कर्म और वचन से चरणों की मैमिनी हूँ, किस अपराध से श्राप ने मुझे त्यांग दिया ॥२॥ ज्ञोग शंका करते हैं कि लक्ष्मणजी को आशीवाद देना उचित था किन्तु पाँव पड़ने को क्यों कहा? उत्तर-सीताजी ने कहा है हनूमान ! तुम लक्ष्मण समेत मेरी ओर से स्वामी के चरणों को पकड़ कर क्षमा-प्रार्थानां करना ! लक्ष्मणजी के पाँव पकड़ने को नहीं कहा। यह इसलिये कहा कि लक्ष्मणजी के प्रति महारानी के हृदय में पढ़ विश्वास है कि वे