पृष्ठ:रामचरित मानस रामनरेश त्रिपाठी.pdf/११

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१० & ): कौन - M. ) । 8 विषय पृष्ठ विषय भरत औीर शत्रुध्न का अयोध्या में 82 आना और राजा की मृत्यु पर शोक राम का प्रसन्न होकर भरत को पादुका। प्रकट करना देना और विदा करना, भरत का ५४१-०५४६ भरत का कोशल्या के पास जाना और अयोध्या लौटना तथा राजा जनक का उनसे अपनी निषता प्रकट करना ५४६०५५० मिथिलाप्रस्थान ६९१-६९७ राजा दशरथ की अन्त्येद्धिक्रिया : पादुका को राज्यासन पर स्थापित ५५१--५५२ राम, वशिष्ठ जी का भरत को राज्य के करके भरत का नन्दिनाम में तपश्चर्या के लिये समझाना तया भरत का शोक में अनुरक्त होना ६७८७०२ प्रकट करना प्रौर राम को बुलाने 82 आर-क्राएड के लिए चित्रकूट जाने का विचार ५५३-५६६। ७०३ जयन्त का कौए के वेष में शाकर भरत का पुरवासियों सहित राम को सीता के चरण में चोंच मारना और लौटाने के लिये चित्रकूट के लिये रामचन्द्र की परीक्षा लेना तथा राम द्वारा प्रस्थान करना 8 ५६८-५८३ उसका नेतृ-भंग ७०४ भरत का प्रयाग पहुँचना श्रीर ७०६ राममंत्रिमिलन भरद्वाज जी से भेंट ७०७-७० ड ५८४-५६६ अनुसूया का जानकी को उपदेश ७००७११ g इन्द्र का भयभीत होना ५९७६ o अत्रि से विदा लेकर राम का सीता का स्वप्न देखना औोर कोल मागे जाना, विराधवघ तथा 81 फिरातों का भारत के प्राने का समाचार शरमंग मुनि का दर्शन राम से कहना; भरत का नागक्षेम ७३८७१४ प्) शरमंग मुनि का योग की अग्नि 32 सुनकर राम का शोक करना और में शरीर जलाना ७१५ लक्ष्मण का ओोवित होना ६०१ राम का राक्षसों का वध करने की राम का लक्ष्मण को समझाना औौर प्रतिज्ञा करना, सुतीक्ष्ण से मिलाप भरत की बढ़ाई करना -६१२ तथा सुतीक्ष्ण द्वारा राम की स्तुति ७१६-७२१ राम और भरत का मिलाप ६१२-६२१ सुतीक्ष्ण का राम को अगस्त्य मुनि के राजा दशरथ का स्वर्गवास सुनकर पास ले जाना, राम और मुनि का राम का शोक प्रकट करना ६२१-६३१ मिलाप तथा संवाद ७२१-७२४ राजा और मरत का संवाद ६३२-६४७ 38 राम का डकवन में प्रवेश, जटायु का राजा जनक के दूतों बहाँ -६४६ का थाना ६४७मिलापपंचवटी में निवास सय राम महाराज जनक का चिपलूट में श्रागमन लक्ष्मण-संवाद कोकिरातों का भेंट देना, रानी ७२४०७२७ सुनयना और कौशल्यां आदि की भेंट, शूर्पणखा और राम का संवाद औौर परस्पर संवादजानकी-जनकमिलन लक्ष्मण का उसका नाककान काटना ७२८-०७२७ और राजारानी का कथोपकथन ६६५ खरदूषण के पास ६४६-शूर्पणखा का गुरु वशिष्ठ, राजा जनक, भारत और जाना, खरदूषणादि का युद्ध तथा चौदह सहस्र राक्षसों का वध की चिन्ता तथा छलप्रयोग ६६६-६८० ७३० -७३६ शूर्पएखा का रावण के पास जाना, 88 राम और भरत का अन्तिम संवाद, मारीचरावणसंवाद, सीता का तीर्थजलस्थापन तथा चित्रकूट ६८०-६६१ अग्निप्रवेश .७३७ ७४० 88 से